उज्जैन में 13 बच्चों को जबरदस्ती होस्टल में रोककर कोरोना संक्रमण की ओर धकेलने वाले विरुपाक्ष वी. जड्डीपाल पर F.I.R कब दर्ज होगी...?
• संजय बमने
उज्जैन में कोरोना संक्रमण का आंकड़ा 500 पार कर गया है ।लगभग 50 उज्जैनवासियों की मृत्यु हो चुकी है । लेकिन रोज शाम को आने वाले हेल्थ बुलेटिन आने के पहले उज्जैनवासी सोचते है आज से कंट्रोल होने लगेगा लेकिन यह कंट्रोल की जगह बड़ जाता है । कैसे कंट्रोल किया जाए यह बड़ा सवाल बना हुआ है । उज्जैन में विपक्ष की भूमिका वाली कांग्रेस से उम्मीद नही की जा सकती कि वो सही तरीके से आमजन की आवाज बुलंद करेगी क्योकि वो खुद जानलेवा गलती करने पर आमादा है । उसके नेता कल राजीव गांधी की पुण्य तिथि मनाने एकत्रित हुए और उन्होंने ही शारिरिक दूरी का पालन नही किया साथ ही जरूरत से ज्यादा संख्या में एकत्रित होना दर्शाता है कि कोरोना महामारी की रोकथाम में कांग्रेस स्वयं गम्भीर नही है । आरडी गार्डी की लापरवाही में केंद्र सरकार से जुड़े जनप्रतिनिधियों से उम्मीद थी कि वो कुछ ठोस कार्यवाही करवा पाएंगे लेकिन आरडी गार्डी आये सभी जांच दल उसके खिलाफ रिपोर्ट भी दे गए लेकिन नेता अभी तक उस पर कोई कार्यवाही नही करवा पाए है । केवल पेपर में कार्यवाही होगी जैसे बयान देने मात्र से आरडी गार्डी प्रबंधक को कोई फर्क नही पड़ता । अब एक मामला ऐसा आया है जिसमे केंद्र सरकार के उपक्रम में ही लापरवाही सामने आई है । उज्जैन चिंतामन रोड पर महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान है वहां नियमित लॉक डाउन के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है । लेकिन केंद्र सरकार से जुड़े नेता उस पर एक शब्द भी नही बोले न उन्होंने कार्यवाही के लिए कोई ठोस कदम उठाया । सोचिये जिस संस्थान की गलती से 13 बच्चों को कोरोना संक्रमण हुआ हो उस संस्थान के प्रबंधकों पर कोई कार्यवाही नही की गई यहां तक कि उसके खिलाफ एक बयान तक किसी का नही आया । जिसकी लापरवाही के कारण बच्चों में कोरोना संक्रमण फैला वो बैखोफ घूम रहे है यहां तक कि वो अभी भी फाइनेंस बैठक कर रहें है जबकि उनके स्टॉफ में भी एक महिला कोरोना संक्रमित पाई गई है बावजूद इसके यहां 15 स्टॉफकर्मी बैठक में शामिल हुए । सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वेद विद्या प्रतिष्ठान के सचिव विरुपाक्ष वी. जड्डीपाल को उज्जैन आये 3 साल हो गए है । यह अपने तानाशाही रवैये के कारण जाने जाते है । इनके कारण आज सारा स्टॉफ भी संकट में आ गया है । इन्होंने राजस्थान कोटा में पढ़ने वाले अपने बेटे के अलावा पत्नी को तो उज्जैन बुलवा लिया लेकिन वेद विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों को लॉकडाउन से पहले उनके घर भेजने के कोई इंतजाम नहीं किए। कोटा में उनका पुत्र 11वीं कक्षा में पढ़ता है। लॉकडाउन शुरू होने के पहले ही मार्च को उसे उज्जैन बुला लिया गया था। अपने परिवार के लोगो का जीवन जरूरी है परिवार की चिंता करनी भी चाहिए पर आपके पास रह रहें 80 छात्र भी आपके परिवार की तरह ही थे वो भी आपको चरण स्पर्श करते थे उज्जैन में उनके माता-पिता ने उन्हें आपके सुपर्द कर रखा था आप पर विश्वास करके आपने उनके विश्वास को क्यो तोड़ा ? आपने उन्हें उनके घर नही जाने दिया उज्जैन में ही जबरदस्ती रोके रखा जबकि उन्होंने आपसे कई बार आग्रह किया था कि सर हमे हमारे घर जाने दो । जब अधिकारी ने आपसे पूछा कि आपने बच्चों को घर क्यो नही भेजा तो आपने बहाना बना लिया कि परिवहन सुविधा नही थी । आपके स्वयं के परिवार के लिए परिवहन सुविधा आप जुटा सकते है लेकिन केंद्रीय सरकार का उपक्रम होने के बावजूद आप बच्चों के लिए परिवहन नही जुटा पाए । शर्म आनी चाहिए आपको आपकी दोगली दोहरी नीति पर आपके कारण 13 बच्चों में संक्रमण फैल गया और आप गैर जिम्मेदाराना तरीके से बयानबाजी करके मामले की लीपापोती में लगे है । इनके द्वारा परिवहन की व्यवस्था के लिए कोई प्रयास नही किये गए । यहां तक कि यह स्टॉफ को भी जबरदस्ती ऑफिस बुलवाते रहें । जब एक बच्चे की तबियत खराब हो गयी तो घबरा कर इन्होंने उसके माता-पिता को फोन करके बोला जल्दी से अपने बेटे को यहां से ले जाओ यही छात्र बाद में संक्रमित पाया गया । महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान जिसका संचालन मानव संसाधन विकास मंत्रालय करता है। केंद्र सरकार के इस उपक्रम में कोरोना से बचने के नियमों का पालन नही किया गया । लॉकडाउन के बीच यहां 50 से अधिक वैदिक छात्र हॉस्टल में रह रहे थे । छात्रों ने कई बार घर जाने का आग्रह किया लेकिन उन्हें घर नही जाने दिया गया । प्रतिष्ठान के मुख्य परिसर में ही वैदिक छात्रों के लिए आदर्श वेद विद्यालय चलाया जाता है। इसमें 80 वैदिक छात्र अध्ययनरत हैं। परिसर के छात्रावास में यह सभी रहते हैं। लॉकडाउन के बीच भी इन्हें छात्रावास में ही जबरदस्ती ठहराया गया जबकि कई छात्र छुट्टी के लिए आग्रह कर चुके हैं। कुछ दिन पूर्व राजस्थान के भीलवाड़ा का रहने वाला यह छात्र अपने घर रवाना हुआ था। वहां स्थानीय प्रशासन ने छात्र का टेस्ट किया जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद भी उज्जैन में स्थित होस्टल में बचे छात्रों को न तो क्वारेंटाइन किया और न ही उनका कोई उचित उपचार या टेस्ट करवाया। जिससे प्रतिष्ठान में रहने वाले छात्रों के बीच कोरोना का संक्रमण बढ़ने की संभावना बढ़ गयी । हाल ही में आई रिपॉर्ट में जैसे ही 13 बच्चे संक्रमित पाए गए । बच्चों के पालकों में हड़कम्प मच गया । क्या केंद्र सरकार इस संस्थान के जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही करेगी । जिनके कारण छात्रों में कोरोना संक्रमण फैला ।राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए महामारी अधिनियम का इन अधिकारियों ने बिल्कुल पालन नही किया । ऐसे अधिकारियों पर FIR दर्ज करके उन्हें तत्काल निलंबित कर देना चाहिए ।उम्मीद है केंद्र से जुड़े नेता अधिकारी इस ओर ध्यान देंगे और जल्द से जल्द कड़ी कार्यवाही करवाकर लापरवाह प्रबंधकों को सबक सिखाएंगे ।