जिला उद्योग केंद्र जी हां जो कि उज्जैन के सभी उद्योगों का केंद्र है याने की व्यापार का महत्वपूर्ण स्थान है ! क्या आप जानते हैं आजकल यह विभाग क्या कर रहा हैं ? जी ये आजकल स्वयम व्यापारी बन गया है ! कोरोना महामारी के चलते , राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार ने देश की बिगड़ती हुई अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए इस महामारी से जूझते हुए लॉक डाउन में कुछ उद्योगों को नियम अनुसार छूट का प्रावधान रखा था उसके लिए उद्योगों को उज्जैन जिला प्रशासन के नियम तहत इस विभाग से अनुमति लेना थी ! अब तो उद्योगों को चालू करने की पूर्ण छूट दे दी गयी है , और अब उद्योगों को किसी भी प्रकार की कोई भी अनुमति की आवश्यकता नहीं है ! लेकिन इसके पहले फैक्ट्रियों को चालू करने मे आपको जिला व्यापार उद्योग केंद्र में जाना पड़ा था अब जो लोग उस समय इस विभाग के चक्कर काटे है उनका दर्द है कि ये विभाग अब स्वयम व्यापार करने लगा है !
इस विभाग ने भी बहती गंगा में हाथ धो लिए है ओर सुना है धनतेरस भी मनाई है ? उद्योग प्रारंभ करने की अनुमति के साथ खुले आम तौर पर उद्योगों से पीपी किट की डिमांड की गई अब आप अंदाज लगा सकते हैं कि पीपी किट की आड़ में भी इन उद्योगों से क्या मांगा गया होगा ! और हद तो तब हुई पीपी किट मांगने वाला एक अनाधिकृत पूर्व अधिकारी जो कि विभाग से निलंबित है ! अब आप अंदाजा लगा सकते है इस विभाग का संचालन किस तरह हो रहा है ! प्रबंधक की ड्यूटी कोरोना जांच में लगा दी गयी है वो दिन में मुश्किल से 2 घण्टे भी नही आते ऑफिस , अब आप समझ सकते है कि देश की अर्थ व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए उद्योगों को प्रराम्भ करना और उसके सरकार से समन्वय के लिए इस विभाग की भूमिका केसी है ! जबकि अभी इस दौर में इस विभाग की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है उसे चाहिए कि वो सरकार के साथ समन्वय बिठा कर उद्योगों को चालू करवाये जिससे हम इस वैश्विक दौर में अपने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सके ! हम इस सम्बंध में जिला व्यापार एवम उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक जी चर्चा करनी चाही तो उन्होंने व्यस्तता के हवाला देकर चर्चा से इनकार कर दिया ! फिर हमने उद्योग पतियों से इसकी भूमिका की चर्चा की तो हमे कुछ अनुभव सुनने मीले !
*लघु उद्योग भारती मालवा प्रांत के कार्यकारिणी सदस्य युवा उद्योग पति श्री अतीत अग्रवाल* जी ने कहा जिला व्यापार उद्योग केंद्र में समन्वय नाम की अभी कोई चीज नहीं है , आज भी रूटीन कार्य नहीं हो पा रहे हैं ! शासन से अनुमति मिलने के बाद भी शहरी क्षेत्र के उद्योगपति , आज भी ऑफिस के चक्कर लगा रहे हैं!
*उद्योग संघ के अध्यक्ष श्री दिनेश जी भायल* ने कहा कि में स्वयम उद्योग को प्रारम्भ कराने के लिए महाप्रबंधक सोनी जी से मिल कर आया था और उनसे निवेदन किया आप हमारी आवाज प्रशाशन तक पहुचाये! लेकिन मुझे लगता है शायद महाप्रबंधक जी अभी अपना मानस ही नही बना पाए है कि उन्हें क्या भूमिका निभानी है !
*उद्योग संघ महासचिव श्री अशोक शीतलानी जी* से चर्चा हुई तो उन्होंने कहा की उद्योगों की अनुमति के लिए मेरा आवेदन पर 15 दिन तक विचार ही नही हुआ जिला उद्योग केंद्र ने क्रमवार आवेदन की जगह अपने अपने चाहने वाले लोगों को पहले अनुमति दी ! यह तो शुक्र है शासन का कि उन्होंने उद्योग चालू करने की पूर्ण छूट दे दी ! नहीं तो भगवान ही मालिक है क्या होता इस विभाग का !
लेखक
धर्मेश जोहरे ( डी.के.)
उज्जैन,म.प्र.