अनायास ही कोर्ट के फैसले पर महान संत कबीर जी का दोहा याद आ गया
"कांकर पाथर जोरि कै मस्जिद लई बनाय।
ता चढ़ि मुल्ला बांग दे क्या बहरा हुआ खुदाय।।"
प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शुक्रवार को अजान के समय लाउडस्पीकर के प्रयोग पर बड़ा फैसला दिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने माना कि लाउडस्पीकर से अजान पर प्रतिबंध वैध है। किसी भी मस्जिद से लाउडस्पीकर से अजान दूसरे लोगों के अधिकारों में हस्तक्षेप करना है। इलाहाबाद हाई कोर्ट अजान के समय लाउडस्पीकर के प्रयोग से सहमत नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अजान इस्लाम का अहम हिस्सा है, लेकिन लाउडस्पीकर से अजान इस्लाम का हिस्सा नहीं है। यह जरूर है कि अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग है। इसलिए मस्जिदों से मोइज्जिन बिना लाउडस्पीकर अजान दे सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण मुक्त नींद का अधिकार व्यक्ति के जीवन के मूल अधिकारों का हिस्सा है। किसी को भी अपने मूल अधिकारों के लिए दूसरे के मूल अधिकारों का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि जिलाधिकारियों से इसका अनुपालन कराएं। यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता व न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी व फारुखाबाद के सैयद मोहम्मद फैजल की याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है। बता दें कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन घोषित है। उत्तर प्रदेश में सभी प्रकार के आयोजनों व एक स्थान पर भीड़ एकत्र होने पर रोक लगायी गई है। इसके लिए लाउडस्पीकर बजाने पर भी रोक है।
(उक्त लेख में लिखी गयी अनेक बातें सोशल मीडिया पर आमजन द्वारा की गई पोस्ट के आधार पर है । )
लेखन एवं संकलन मिलिन्द्र त्रिपाठी