कोरोना महामारी के पूर्ण खात्मे तक इस वर्ष बच्चों को स्कूल भेजने के खिलाफ है पालक, 12 वी के विद्यार्थियों की परीक्षा कही बड़ी गलती न साबित हो जाये
 

कोरोना वायरस (Coronavirus, COVID-19) संक्रमण में तेजी से बढ़त को देखते हुए देश भर में स्‍कूलों एवं कॉलेजों को बंद करने का ऐलान किया गया था । मध्य प्रदेश सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए सरकारी और निजी स्कूल/कॉलेज बंद करने का फैसला किया था । लेकिन पालकों की चिंता अभी भी खत्म नही हुई है कोरोना वायरस के पूर्ण रूप से खत्म न होने तक बच्चों को स्कूल भेजने की रिस्क लेने को पालक तैयार नही है । स्कूल में सबसे बड़ा डर शारिरिक दूरी को लेकर अभिभावकों को सता रहा है । देश मे लॉक डाउन के बावजूद रोज कोरोना संक्रमण के हजारों मामले आ रहें है । जिसने माता-पिता की चिंता और बड़ा दी है । वही प्राइवेट स्कूल प्रबंधन ऐसे समय मे भी असंवेदनशील बना हुआ है वो टीचर को ऑनलाइन पढ़ाने के लिए दवाब तो रोज बना रहा है लेकिन वेतन किसी भी टीचर को नही दिया जा रहा है । जबकि ट्यूशन फीस के नाम से बच्चों से फीस वसूली जा रही है लेकिन टीचरों को वेतन नही दिया जा रहा है । लॉक डाउन के बीच निजी स्कूल बच्चों के पालकों से अप्रैल महीने सहित तीन महीने की फीस मांगने लगे हैं। मोबाइल के माध्यम से पढ़ाई की नोट्स आदि भेजने के नाम पर यह वसूली होने लगी है। पालकों की मांग है कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए शैक्षणिक सत्र तब तक शुरू न किया जाए जब तक कि कोरोना पूरी तरह खत्म न हो जाये । 

 उज्जैन में इसी मांग को लेकर मौलिक पालक संघ ने एक ज्ञापन मुख्यमंत्री ,कलेक्टर ,जिला शिक्षा अधिकारी के नाम जारी किया है । ज्ञापन में कहां गया है कि 

मौलिक पालक संघ के समस्त पालक गण,शासन-प्रशासन मप्र सरकार एवं समस्त अशासकीय विद्यालयों से अनुरोध करते हैं कि देश में कोरोना जैसी वैश्विक महामारी अपने चरम स्तर पर है और दिन-प्रतिदिन covid-19 के केस पूरे शहरों प्रदेश और देश में बढ़ते जा रहे हैं, ऐसे में यदि हमारे बच्चे जो स्कूलों में शिक्षा अध्ययन करने जाएंगे तो उन्हें इस माहौल में स्कूलों में सुरक्षित भेजना, समस्त पालकों के लिए एक विशेष चिंता का विषय है। आज शासन ने संपूर्ण देश में इस बीमारी से लड़ने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का जो महत्व बताया है वो निजि स्कूलों में बच्चों की अत्यधिक क्षमता और कक्षाओं की कमी होने से मुश्किल जान पड़ता है।फिर भी यदि इस स्थिति में शिक्षा हेतु उन्हें स्कूल भेजा जाएगा तो बच्चे स्वयं सोशल डिस्टेंसिंग का पूर्णता से पालन नहीं कर सकेंगे। जिससे उनमें कोरोना बीमारी होने का भय लगा रहेगा जो समस्त पालक गणों के लिए एक चिंतनीय विषय है।

आज हम सभी पालक अभिभावक मौलिक पालक संघ के माध्यम से आप से विनम्र अनुरोध करते हैं की स्कूलों को कोरोनावायरस महामारी खत्म होने तक बंद रखा जाए साथ ही इस विषम आर्थिक परिस्थितियों को समझते हुए बच्चों और पालकों पर किसी भी प्रकार का कोई शिक्षा शुल्क (जिसमे शिक्षण शुल्क भी सम्मिलित है) शिक्षण संस्थाओं द्वारा नहीं थोपा जाए। साथ ही नए सत्र में कोर्स की नई किताबों को खरीदने के लिए पालकों को बाध्य नहीं किया जाए।

इस वर्ष सभी व्यवसायिक शिक्षण संस्थाओं द्वारा कोविड-19 से लड़ने एवं उसे हराने की मिसाल कायम होना चाहिए तथा इस महामारी में अपने पीड़ित पालकों एवं शिक्षकों पर घिरे घोर आर्थिक संकट एवं विकट परिस्थितियों में उन्हें सहारा देकर एक राष्ट्रीय योगदानकर्ता का परिचय भी देना चाहिए।इस वर्ष प्रशासन से मौलिक पालक संघ निवेदन करता है कि विगत सत्र में जारी पुस्तकों एवं पाठ्य सामाग्रीयों को ही आदान-प्रदान कर विद्यार्थी इस वर्ष अपना शिक्षण सत्र पूरा करें तथा प्रशासन द्वारा कठोर निर्णय लेकर सभी अशासकीय एवं निजी विद्यालयों को निर्देश भी जारी किया जाए कि कोई भी स्कूल अपने बच्चों और पालकों को नवीन कोर्स खरीदने के लिए बाध्य न करें एवं पूर्ववती पाठ्यक्रम आधारित कक्षाएं ही संचालित करें। 

पालक संघ के ज्ञापन से एक बात तो स्पष्ट है बच्चे घर से स्कूल जाते हैं जिस ऑटो का बस का प्रयोग किया जाता है उसमें भी शारीरिक दूरी का पालन नही किया जा सकता एक बस में अनेकों बच्चे एक साथ जाते है यदि एक भी बच्चा संक्रमित हुआ तो पूरे स्कूल के बच्चों में वायरस बहुत तेजी से फैल जाएगा । वही दूसरी ओर 12वी कक्षा के शेष पेपर जो कोरोना के कारण नही हो पाए थे । मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल ने कक्षा बारहवीं का टाइम टेबल घोषित कर दिया है। परीक्षाएं 9 जून से 16 जून के बीच आयोजित की जाएंगी। वहीं 8 जून से 16 जून तक प्रायोगिक परीक्षाएं ली जाएंगी। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि अभी चारो तरफ कोरोना संक्रमण बहुत तेजी से फैल रहा है लाखों बच्चों को परीक्षा के नाम पर एकत्र किया जाएगा जो घातक हो सकता है । क्या वर्तमान समय में यह निर्णय सुरक्षित है ? भोपाल इन्दौर एवं उज्जैन में जो स्थिति है उसमें क्या ये उचित निर्णय है ? क्या बच्चे सुरक्षित रहेगे ? क्योंकि बच्चे रेड जोन में और प्रतिबंधित क्षेत्र के भी है । शासन को इसे आगे बढाने पर विचार करना था । या इन बच्चों को भी जनरल प्रमोशन दिया जा सकता था ।

 

(लेख पालक संघ के आग्रह पर एवं पालकों द्वारा दिये गए सुझाव पर आधारित है । )  

 

 

लेखन एवं संकलन मिलिन्द्र त्रिपाठी