कटाक्ष की उड़ान... "नेताओं में फूट डालने वाला डॉक्टर" 
अभी तक हमने देखा और सुना कि नेता बहुत चतुर होते है । उनकी नजर में उनसे ज्यादा बुद्धिमान कोई नही होता वो हर अच्छे बुरे की समझ रखते है । बड़ी-बड़ी मीटिंग में प्रशासनिक अधिकारी इन्ही नेताओं से ज्ञान प्राप्त करते है । फिर इसी ज्ञान पर आधारित योजना बनाते है । सोचिये यदि में कहूँ की नेताओ को कोई चला दें तो आप विश्वास नही करेंगे । लेकिन उज्जैन में एक डॉक्टर ऐसा है जो नेताओं से खेल रहा है । वो एक ही पार्टी के नेताओं को आपस मे लड़वा रहा है और अपना उल्लू सीधा कर रहा है । बड़े-बड़े अनुभवी नेताओं को आपस मे उलझा कर यह सभी कार्यवाही से बचे हुए है । सारे जांच दल आये और चले गए लेकिन हमेशा की तरह इस डॉक्टर का बाल भी बांका नही हुआ । कलेक्टर और दबंग एसपी के तबादले हो गए लेकिन ये डॉक्टर टस से मस नही हुआ । इससे भी बड़ी बात यह कि उसकी गलती उज्जैन का बच्चा-बच्चा जानता है । लेकिन मजाल है कि उस पर कार्यवाही की जूं भी रेंगे । सोशल मीडिया पर इसी डॉक्टर के कारण नेता निशाने पर आ गए अब नेता करें भी तो क्या उन्हें समझ ही नही आ रहा है । डॉक्टर बहुत अनुभवी है नेताओं के सारे पैंतरे फेल कर रहा है । नेताओं की टीम भी आपस मे तलवार लेकर सोशल मीडिया पर जुबानी जंग लड़ रही है । सत्ता पक्ष हो या विपक्ष ये डॉक्टर तो सबको घोल कर पी गया । इसके घर के बाहर विपक्ष ने आंदोलन किया तो उन पर कार्यवाही हो गयी लेकिन डॉक्टर पर कार्यवाही नही हुई । उज्जैन की जनता सोचती होगी कि ये डॉक्टर तो बहुत पहुंची हुई हस्ती है यार इतना चिल्लाने के बाद भी इस पर कार्यवाही शून्य । जनता इस डॉक्टर के खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट डाल-डाल कर हार गई । कुछ नेता भी गला फाड़-फाड़ के चिल्ला रहें है इसका अस्पताल मौत का दरवाजा है लेकिन सारे खिलाफ़ होने पर भी यह डॉक्टर टस से मस नही हुए । अभी तो नेताओं में भी चलन चल गया है इस डॉक्टर के खिलाफ खूब चिल्लाओं लेकिन वो खुद भी जानते है चिल्लाने से कुछ भी होना जाना नही है । कल मेरे पास एक फोन आया फोन पर सज्जन पूछते है आखिर इसके पीछे जो व्यक्ति खड़ा है क्या वो उज्जैन के नेताओं को पानी मे शक्कर की तरह घोल कर पी गया ? 47 की मौत में अधिकांश का जिम्मेदार इस डॉक्टर का अस्पताल ? ये अस्पताल सिर्फ इसी के इशारे पर चलता है । फिर जिम्मेदारी तो इसी की बनेगी लेकिन सब कह रहे है समझ भी रहें है सामान्य बुध्दि वाला भी इन बातों को आसानी से समझ जाता और कार्यवाही करवा देता लेकिन बड़े बुध्दि वाले नही समझ पा रहें है । आज जो चिल्ला रहे है उन्हें भी क्या डॉक्टर मैनेज कर लेगा फोन वाले सज्जन ने गहरी सांस लेकर प्रश्न की मिसाइल मुझ पर दाग दी मेने भी गहरी सांस लेकर उत्तर दिया उम्मीद है कि जनता के डर से अब कोई मैनेज न होगा और कार्यवाही शायद हो जाएगी ? तब फोन वाले सज्जन ने हंसते हुए कहाँ भाई जी एक ओर पैसा एक ओर जनता बताओ किसको चुना जाएगा ? मेने कहाँ शायद जनता को उसने बिना सांस लिए पलट कर कहाँ क्या जनता की किस्मत इतनी अच्छी निकल सकती है ? मेने कहाँ इतने लोग मरें है शायद उनकी आत्मा इस डॉक्टर को सजा दिलाकर ही शांत होगी ? फिर उसने कहाँ क्या आत्माओं के गुस्से को जल्द शांत किया जा सकेगा ? मेने कहाँ यह सब उत्तर वक्त में छुपे है तुम मुझसे विक्रम वेताल मत खेलो । हसंकर फोन कट तो गया लेकिन क्या डॉक्टर के खिलाफ कार्यवाही का डंडा चलेगा या वो फिर अपनी चालक खोपड़ी से बच जाएगा ? देखना है हमे हमारे उत्तर मिलते है या नही । "सत्य परेशान हो सकता है पराजित नही" देखते है उज्जैन में कौन नेता और उसकी टीम को यह लिखने का सौभाग्य मिलता है । यदि कार्यवाही हुई तो चिल्लाने वाले नेता सही यदि कार्यवाही न हुई तो मैनेज करने वाला डॉक्टर फिर जीत जाएगा । अब जीत जनता की होगी ? या नेता की होगी ? या डॉक्टर की होगी ? यह सबके उत्तर भविष्य में छुपे है जब तक के लिए हम सब मिलकर बाबा महाकाल से प्रार्थना करते है दुनिया को कोरोना से बचाकर मानव जाति पर आई इस विप्पति से हम सबकी रक्षा करें । 


लेखक मिलिन्द्र त्रिपाठी