★ देश के 16 राज्य इस वर्ष शराब से 1.65 लाख करोड़ रुपए राजस्व हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रहे थे ।
★लॉकडाउन में 40 दिन शराब ठेके बंद रहने से MP सरकार को हुआ 1800.69 करोड़ का नुकसान
★अनेक राज्य प्रति बोतल पर कोविड-19 सेस लगा रहें है ।
★शराब नहीं बिकने से राज्यों को हर दिन 700 करोड़ रुपए तक का नुकसान हो रहा है ।
★डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, देश में औसतन हर व्यक्ति 5.7 लीटर शराब हर साल पी जाता है ।
शराबी जिसे अभी तक हम निचली श्रेणी का व्यक्ति समझते थे । हम सोचते थे कि शराबी होना गलत बात है । शराबी शराब पीकर हंगामा करते है । अभी तक केवल उनका यही पक्ष हमारे सामने था ।कोरोना महामारी के कारण हुए लॉक डाउन के कारण हमारे बीच शराबियों का एक बड़ा पक्ष सामने आया सरकार ने हमे बताया कि अर्थव्यवस्था के लिए शराबी कितना जरूरी है ।देश मे शराबी से अमीर सरकार किसी को नही मानती जब मर्जी जितना टेक्स शराब पर लगा दिया जाता है और कभी इसकी बिक्री पर कोई प्रभाव नही पड़ता । आजकल सोशल मीडिया पर एक चुटकला वायरल हो रहा है "एक शराबी नाले के पास लड़खड़ाता हुआ चल रहा था वहां खड़े समझदार व्यक्ति ने कहा ठीक से चलो नाले में गिर जाओगे शराबी कहतां है चल हट जा तू हमे चलना सिखाएगा हम देश की अर्थव्यवस्था चला रहे है । "शराब के आदि लोग लॉक डाउन के दौरान शराब नही पी पाए जिससे सरकार को बहुत बड़ा नुकसान हुआ । दरअसल, शराब और पेट्रोल ये दो ऐसे उत्पाद हैं जिन पर राज्य सरकारें अपनी ज़रूरत के हिसाब से टैक्स लगाकर सबसे ज़्यादा राजस्व वसूलती हैं । शराब को जीएसटी से बाहर रखा गया है । यानी राज्य अपने हिसाब से कर निर्धारित करते हैं.राज्य सरकारों को हो रहे राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए ही लॉकडाउन के बावजूद शराब की दुकानें खोली गई हैं ।
एक तरफ लोग कहते थे कि देश भर में शराबबंदी लागू की जाए । लेकिन सरकार ने कभी शराबबंदी लागू नही की क्यो लागू नही की इसका कारण अब समझ आया । आखिर सरकार अपने सबसे कमाने वाले धंधे को कैसे बन्द कर सकती है ? इस लेख में आगे दिए आंकड़ों से आप समझ जायेंगे की यह कितना लाभ का धंधा है सरकार के लिए । तभी तो सरकार स्कूल कॉलेज ऑफिस खोलना नही चाहती बल्कि वो शराब की दुकान खोलना चाहती है । सोचिये एक तरफ सरकार कह रही है आप घर मे रहें लेकिन शराब की दुकान खोलने से हजारों की संख्या में भीड़ शराब की दुकानों पर पहुंच गई । अब ओर विचार कीजिये उनमें से किसी को यदि कोरोना संक्रमण हुआ तो एक साथ नए हजार मरीज हमारे सामने आ जाएंगे । जहां एक ओर दुनिया भर कई देशों में लॉक डाउन के दौरान कोरोना महामारी कंट्रोल में आ गयी लेकिन हमारे देश मे लॉक डाउन के दौरान भी लगभग 3500 मरीज तक नए एक दिन में सामने आ रहें है इसका अर्थ हुआ लॉक डाउन का लोग सहि पालन नही कर रहें है ? अब देश मे मरीजों का आंकड़ा 40 हजार के पार हो गया है बहुत तेजी से यह वायरस बढ़ रहा है । पहले हम सोचते थे ये वायरस चीन में हुआ है हमारे देश मे थोड़ी न आएगा ? फिर हमारे देश मे आ गया । फिर सोचा कि हमारे प्रदेश में नही आएगा । लेकिन यह हमारे प्रदेश में भी आ गया । फिर सोचा कि यह हमारे शहर में नही आएगा पर हमारे शहर में भी आ गया । फिर दिमाग मे आ रहा है कि यह हमारे मोहल्ले में नही आएगा लेकिन अनेकों मोहल्ले में अब यह पहुंच गया है । अब अगला सबसे खतरनाक चरण की यह हमारे घर मे नही आएगा ? अभी भी सोच लीजिये वक्त है कोरोना वायरस का फैलना हमारे लिए चिंताजनक है । शराब की दुकानें खुलने के बाद खरीदारों की भारी भीड़ उमड़ने से इसकी ऑनलाइन बिक्री मांग होने लगी है। शराब निर्माता कंपनियों ने लॉकडाउन में ढील मिलने के बाद खुली शराब की दुकानों पर देशभर में उमड़ी भारी भीड़ तथा लोगों के बीच आपस में सुरक्षित दूरी के निर्देश के उल्लंघन के मद्देनजर सोमवार को एक बार फिर से शराब की ऑनलाइन बिक्री को इजाजत देने की वकालत की। एक तरफ देश मे अनेकों गरीबों एवं मध्यमवर्गीय परिवार एक समय के भोजन की तलाश में रहते है उन तक कोई ऑनलाइन भोजन नही पहुँचा रहा लेकिन शराब की ऑनलाइन बिक्री करने की मांग की जा रही है । कोरोना वायरस महामारी के कारण पूरे देश में 25 मार्च से लॉकडाउन लागू है। तीन मई को लॉकडाउन का दूसरा चरण समाप्त हो गया और अब 17 मई तक इसका तीसरा चरण चलेगा। मध्य प्रदेश में कोरोना लॉकडाउन के कारण शराब की दुकानें बंद होने से मार्च और अप्रैल महीने में ही राज्य सरकार को 1800.69 करोड़ के राजस्व का घाटा हुआ है. मई में शराब ठेके नहीं खुलने से राज्य सरकार को 1000 करोड़ का नुकसान होने की संभावना है ।
उत्तर प्रदेश के आबकारी मंत्री अग्निहोत्री कहते हैं, 'उत्तर प्रदेश सरकार को शराब की बिक्री बंद होने से प्रति माह पौने तीन हज़ार करोड़ रुपए के राजस्व नुकसान हो रहा था ।
साल 2018-19 में उत्तर प्रदेश सरकार ने शराब की बिक्री से 23,918 करोड़ रुपए का टैक्स वसूला था. इस समय उत्तर प्रदेश में ही शराब की 18 हज़ार से अधिक दुकानें हैं ।गुजरात, बिहार और आंध्र प्रदेश को छोड़कर देश के सोलह बड़े राज्यों ने वित्त वर्ष 2020-21 के अपने बजट अनुमान में बताया था कि वो शराब की बिक्री से कुल मिलाकर 1.65 लाख करोड़ रुपए राजस्व हासिल करना चाहते हैं । अंग्रेजी अखबार द हिंदू के मुताबिक, शराब की बिक्री बंद होने से सभी राज्यों को रोजाना 700 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।भारत में शराब पीने वाले भी हर साल बढ़ते जा रहे हैं। 2018 में डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट आई थी। इसके मुताबिक, देश में 2005 में हर व्यक्ति (15 साल से ऊपर) 2.4 लीटर शराब पीता था, लेकिन 2016 में ये खपत 5.7 लीटर हो गई। हालांकि, इसका मतलब ये नहीं है कि देश का हर व्यक्ति शराब पीता है। यह तो एक औसत को समझाने के लिए प्रयुक्त किया गया है ताकि आमजन आसानी से समझ सकें । डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 में भारत में शराब पीने की वजह से 2.64 लाख से ज्यादा मौतें हुई थीं। इनमें 1 लाख 40 हजार 632 जानें सिर्फ लिवर सिरोसिस से गई थी। जबकि, 92 हजार से ज्यादा लोग सड़क हादसों में मारे गए थे। सड़क हादसों का भी बहुत बड़ा कारण शराब पीकर गाड़ी चलाना है । सब जानते हुए भी सरकार कभी शराबबंदी नही करने वाली आखिर कोई अपने कमाऊ धंधे को क्यो बन्द करेगा ? राजस्थान के कोटा की सांगोद विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक (Congress MLA) भरत सिंह कुंदनपुर ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चिट्ठी लिखकर शराब की दुकानें खोलने की अपील की है. कांग्रेस विधायक ने लिखा है कि शराब पीने से कोरोना वायरस खत्म हो जाएगा ।
(उक्त लेख के किसी भी हिस्से को लेखक की सहमति के बिना कॉपी करना गैरकानूनी है ,कॉपी करने पर कानूनी कार्यवाही की जाएगी )
लेखन एवं संकलन मिलिन्द्र त्रिपाठी