वैज्ञानिकों का दावा मृत शरीर से भी फैल रहा कोरोना

लगातार देश में कोरोना से मृत लोगो के अंतिम संस्कार में घर वाले तक नही जा पा रहें थे । कुछ वीडियो मे यह दृश्य देखकर बेहद आश्चर्य हुआ कि है भगवान ऐसी मौत किसी को न देना जिसका अंतिम संस्कार तक ठीक से न हो पाए । एक व्यक्ति सोचता है कि उसकी संतान उसकी चिता को आग देगी । भारत मे इसी एक परंपरा के लिए घरों में लड़कों के जन्म पर पिता द्वारा कहाँ जाता है कि लो आ गया मेरी चिता को आग देने वाला । लेकिन कोरोना से मृत व्यक्ति के देह को कोई घर ले जाने को तैयार नही ।आज से 4 माह पहले किसी कोरोना से मृत व्यक्ति ने यह नही सोचा होगा की मेरी मौत इतनी भयानक भी हो सकती है की मेरे ही बेटे मेरे ही परिवार के लोग मुझे कंधा तक नही दे पाएंगे । मुझे श्मशान ले जाने के लिए भी सरकारी कर्मचारी आएंगे । शव वाहन में पीछे मेरा शव अकेला जाएगा ।अभी तक केवल यह अनुमान था कि शव से कोरोना फैलता है तब कुछ लोगो ने कहा नही शव से कोरोना नही फैलता है और कुछ समाजसेवी संस्था मैदान में आ गयी । वो लोगों की अंतिम यात्रा में शामिल होने लगी । लेकिन आज वैज्ञानिकों ने अपने ताजा खुलासे से सबको चौका दिया है । भारत मे जो कयास लगाए जा रहें थे वो सही साबित हुए । 

अब साइंटिस्ट ने कोरोना मरीज की डेड बॉडी से संक्रमण फैलने की पुष्टि कर दी है, mirror.co.uk की रिपोर्ट के मुताबिक, जर्नल ऑफ फॉरेंसिक एंड लीगल मेडिसिन स्टडी ने कहा है कि थाईलैंड में डेड बॉडी की जांच करने वाला एक मेडिकल प्रोफेशनल कोरोना से संक्रमित हो गया । यह पहली बार है जब डेड बॉडी से किसी व्यक्ति के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है । जर्नल ऑफ फॉरेंसिक एंड लीगल मेडिसिन स्टडी के मुताबिक, मार्च में ही डेड बॉडी के जरिए मेडिकल एग्जामिनर संक्रमित हो गए । जर्नल में ये रिपोर्ट चीन के हैनान मेडिकल यूनिवर्सिटी के विरोज विवानिटकिट और बैंकॉक के आरवीटी मेडिकल सेंटर के वॉन श्रीविजितलई ने लिखा है,


जबकि अब तक कहाँ जा रहा था कि मृत शरीर से संक्रमण नही फैलता है । 25 मार्च को थाईलैंड के डिपार्टमेंट ऑफ मेडिकल सर्विसेज के प्रमुख ने दावा किया था कि डेड बॉडी से संक्रमण नहीं फैलता । हेल्थ एक्सपर्ट ने सभी सरकारों को चेतावनी दी है कि कोरोना से संक्रमित मरीज की डेड बॉडी के संपर्क में आने वाले सभी लोगों और फ्यूनरल होम में काम करने वालों को भी पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट दिए जाएं । 

वही WHO का कहना है कि कोरोना मरीज की डेड बॉडी से संक्रमण फैलने की आशंका कम रहती है अगर मरीज के फेफड़े के संपर्क में आने से बचा जाए ।लेकिन who की तरफ से यह जानकारी इस वैज्ञानिक अध्ययन से सामने आने के पहले की है । 

  भारत सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन :- 

शव को हटाते समय पीपीई का प्रयोग करें,पीपीई एक तरह का 'मेडिकल सूट' है जिसमें मेडिकल स्टाफ़ को बड़ा चश्मा, एन95 मास्क, दस्ताने और ऐसा एप्रन पहनने का परामर्श दिया जाता है जिसके भीतर पानी ना जा सके,मरीज़ के शरीर में लगीं सभी ट्यूब बड़ी सावधानी से हटाई जाएं,शव के किसी हिस्से में घाव हो या ख़ून के रिसाव की आशंका हो तो उसे ढका जाए,मेडिकल स्टाफ़ यह सुनिश्चित करे कि शव से किसी तरह का तरल पदार्थ ना रिसे.शव को प्लास्टिक के लीक-प्रूफ़ बैग में रखा जाए,उस बैग को एक प्रतिशत हाइपोक्लोराइट की मदद से कीटाणुरहित बनाया जाए,इसके बाद ही शव को परिवार द्वारा दी गई सफेद चादर में लपेटा जाए,केवल परिवार के लोगों को ही COVID-19 के संक्रमण से मरे व्यक्ति का शव दिया जाए,कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति के इलाज में इस्तेमाल हुईं ट्यूब और अन्य मेडिकल उपकरण, शव को ले जाने में इस्तेमाल हुए बैग और चादरें, सभी को नष्ट करना ज़रूरी है,मेडिकल स्टाफ़ को यह दिशा-निर्देश मिले हैं वे मृतक के परिवार को भी ज़रूरी जानकारियाँ दें और उनकी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए काम करें,भारत सरकार के अनुसार COVID-19 से संक्रमित शव को ऐसे चेंबर में रखा जाए जिसका तापमान क़रीब चार डिग्री सेल्सियस हो,शवगृह को साफ़ रखा जाए और फ़र्श पर तरल पदार्थ ना हो,COVID-19 से संक्रमित शव की एम्बामिंग पर रोक है, यानी मौत के बाद शव को सुरक्षित रखने के लिए उस पर कोई लेप नहीं लगाया जा सकता,कहा गया है कि ऐसे व्यक्ति की ऑटोप्सी यानी शव-परीक्षा भी बहुत ज़रूरी होने पर ही की जाए,शवगृह से COVID-19 शव निकाले जाने के बाद सभी दरवाज़े, फ़र्श और ट्रॉली सोडियम हाइपोक्लोराइट से साफ़ किए जाएं,अंतिम संस्कार से जुड़ीं सिर्फ़ उन्हीं धार्मिक क्रियाओं की अनुमति होगी जिनमें शव को छुआ ना जाता हो.शव को नहलाने, चूमने, गले लगाने या उसके क़रीब जाने की अनुमति नहीं होगी,शव दहन से उठने वाली राख से कोई ख़तरा नहीं है,अंतिम क्रियाओं के लिए मानव-भस्म को एकत्र करने में कोई ख़तरा नहीं है।

WHO ने एक  रिपोर्ट जारी की जिसके अनुसार :-

1 . अगर डेडबॉडी को इलेक्ट्रिक मशीन, लकड़ी या सीएनजी से जलाया जाता है तो जलते समय आग की तापमान 800 से 1000 डिग्री सेल्सियस होगा, ऐसे में कोई भी वायरस जीवित रहेगा।

2 . अगर डेडबॉडी को दफनाने की जगह और पीने के पानी के स्त्रोत में 30 मीटर या उससे अधिक की दूरी  है तो कोई खतरा नहीं होगा।

3. इसके आलावा WHO की 'संक्रमण रोकथाम, महामारी नियंत्रण और स्वास्थ्य देखभाल में महामारी प्रवृत तीव्र श्वसन संक्रमण' पर गाइडलाइंस में शव को आइसोलेशन रूम या किसी क्षेत्र से इधर-उधर ले जाने के दौरान शव के फ्लूइड्स के सीधे संपर्क में आने से बचने के लिए निजी सुरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल  करने की भी सलाह दी है।  


( संकलन एवं लेखन मिलिन्द्र त्रिपाठी )