भारत सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है जिसका असर भारतीय सेना पर होगा । अन्य मंत्रालय के बजट में कटौती करना कुछ गलत नही लेकिन रक्षा सौदों के बजट में बिल्कुल कटौती न कि जाए । हमारे दुश्मन देश पाकिस्तान और चीन है ऐसे में रक्षा बजट को कम करना सही फैसला नही है । सैन्य ताकत मौजूदा वैश्विक व्यवस्था में बड़े देशों के लिए न केवल ताकत व स्वाभिमान की पहचान बन गई है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में हैसियत के लिहाज से भी अहम हो गई है। भारत की तीनों सेनाओं ने भी अब तक बखूबी विश्व सामरिक पटल पर देश की प्रतिष्ठा बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। मगर आज हकीकत यह भी है कि सीमित संसाधनों की झोली और शस्त्रागार में हथियारों की भारी कमी हमारी सेनाओं के सामने गंभीर चुनौती के रूप में खड़ी है। हाल ही में जारी इस वर्ष के बजट सत्र में रक्षा बजट में कटौती का सैन्य क्षमता पर दुरगामी असर पड़ेगा । एक और हमारा दुश्मन चीन रक्षा क्षेत्र में बहुत ध्यान दे रहा है । उसकी सेनाएं आधुनिकरण में बहुत सक्षम हो रही है । सरकार के इस निर्णय का भारत की सैन्य क्षमताओं को और बेहतर बनाने के प्रयासों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। इससे आधुनिक हथियार, विमान, जहाज और टैंक आदि के साथ-साथ बुनियादी ढांचा और अन्य परियोजनाएं प्रभावित होंगी। हाल ही में सरकार द्वारा जारी किए गए इस वर्ष के रक्षा बजट में वैसे ही बहुत कटौती की गई थी । वर्ष 2020-21 के लिए रक्षा मंत्रालय को बजट में 1.13 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जबकि मंत्रालय को जरूरत 1.75/- लाख करोड़ रुपये की है, ऐसे में 61,968.06/- करोड़ रुपये कम आवंटित किए गए हैं। उस वक्त रक्षा संबंधी स्थायी समिति ने यह भी कहा कि इसके अलावा सेवाओं के लिए 1,02,432/- करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जबकि जरूरत 1,61,849.20/- करोड़ रुपये की थी। ऐसे में इस मद में 59,416.63/- करोड़ रुपये कम आवंटित हुए हैं। इस वक्त तीनों सेना अपने आधुनिकीकरण के लिए कई रक्षा सौदे कर रही थी । जो कि अलग-अलग चरणों में होना थे । जैसे भारतीय वायु सेना प्रांत से 36 राफेल लड़ाकू विमान और रूस से 400 रक्षा हथियार प्रणाली के लिए भुगतान करने की योजना बना रखी थी। जबकि सेना भी अमेरिका और रूस सहित अलग-अलग देशों से टैंक, आर्टिलरी गन और असाल्ट राइफल भी लेने जा रही थी । इन सब पर रोक लग गयी है । जिसे सेना के आधुनिकरण में एक बहुत बड़ी रुकावट माना जा रहा है ।इसके अलावा नौसेना ने हाल ही में अमेरिका से 24 मल्टी रोल हेलीकॉप्टर के लिए समझौता किया था लेकिन कोरोनावायरस महामारी के कारण सभी रक्षा डील को रोक दिया गया है। इसका मतलब यह नहीं है कि डील कैंसिल कर दिए गए हैं। बल्कि इन्हें आगे बढ़ा दिया गया है, जब देश में स्थिति सामान्य हो जाएगी तो इसको आगे बढ़ाया जाएगा। लेकिन इससे सेना के आधुनिकरण में हम अन्य देशों से पिछड़ जाएंगे । थल सेना के पूर्व उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल शरदचंद ने रक्षा मामलों पर संसद की स्थाई समिति के सामने जो कुछ गत वर्ष कहा था, वह देश को चिंतित करने के लिए काफी है। उन्होंने कहा कि सेना के मौजूदा 68 प्रतिशत साज़ो-सामान पुराने पड़ चुके हैं और ये जंग में इस्तेमाल के लायक नहीं रह गए। भारतीय सेना के पास केवल 8 प्रतिशत ही अत्याधुनिक हैं।
सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है जो बहुत सही कदम के तौर पर देखा जा रहा है । केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों को 1 जनवरी 2020 से मिलने वाले अतिरिक्त महंगाई भत्ते पर रोक लगा दी है। केंद्र सरकार के इस फैसले से 1.13 करोड़ कर्मचारी और पेंशनर प्रभावित होंगे। इनमें करीब 48 लाख कर्मचारी और 65 लाख पेंशनर शामिल हैं। इस फैसले से केंद्र सरकार को वित्त वर्ष 2020-21 और 2021-22 में 37,530/- करोड़ रुपए की बचत होगी। यदि राज्य सरकारें ऐसा करती हैं तो इस मद में करीब 82,566/- करोड़ रुपए की बचत होगी। इस प्रकार केंद्र और राज्य सरकारों को महंगाई भत्ते की मद में 1.20/- लाख करोड़ रुपए की बचत होगी, जो कोरोना के खिलाफ जंग में काफी मदद करेगी। अकेले मध्यप्रदेश की बात की जाए तो डायरेक्टोरेट ऑफ इकॉनोमिक एंड स्टेटिस्क मध्यप्रदेश में प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक एमपी गवर्नमेंट में कुल 4 लाख, 57 हजार, 442 कर्मचारी और अधिकारी हैं। यदि इनका वेतन आधा कर दिया जाए तो सरकार को बहुत बड़ा बजट प्राप्त होगा ऐसे देश के सभी राज्य करते है तो सरकार को रक्षा बजट में कोई कटौती नही करनी होगी । केवल कोरोना महामारी में लगे कोरोना योद्धाओं जैसे सुरक्षा कर्मी ,पुलिसकर्मी ,स्वास्थ्यकर्मियों ,सफाईकर्मी आदि का वेतन न काटते हुए बाकी समस्त सरकारी कर्मचारियों के वेतन 3 माह के लिए आधा कर देना चाहिए । लालबहादुर शास्त्री जी जब देश के प्रधानमंत्री थे । उनके कार्यकाल में देश में अनाज का संकट पैदा हो गया था, अमेरिका ने उस समय कुछ शर्तों के साथ भारत को अनाज देने की पेशकश की,शास्त्री जी जानते थे कि अमेरिका से अनाज लिया तो देश का स्वाभिमान चूर-चूर हो जाएगा,ऐसे में उन्होंने एक दिन अपने परिवार को उपवास करने के लिए कहा,शास्त्री जी सहित पत्नी, बच्चों ने पूरे दिन कुछ नहीं खाया, इससे शास्त्री जी को भरोसा हो गया कि यदि एक दिन भोजन न भी किया जाए तो इंसान भूख बर्दाश्त कर लेता है, परिवार पर प्रयोग के बाद उन्होंने देशवासियों से आह्वान किया, उन्होंने कहा कि- ''हमें भारत का स्वाभिमान बनाए रखने के लिए देश के पास उपलब्ध अनाज से ही काम चलाना होगा, हम किसी भी देश के आगे हाथ नहीं फैला सकते,यदि हमने किसी देश द्वारा अनाज देने की पेशकश स्वीकार की तो यह देश के स्वाभिमान पर गहरी चोट होगी,इसलिए देशवासियों को सप्ताह में एक वक्त का उपवास करना चाहिए, इससे देश इतना अनाज बचा लेगा कि अगली फसल आने तक देश में अनाज की उपलब्धता बनी रहेगी," उन्होंने आह्वान में कहा- पेट पर रस्सी बांधो, साग-सब्जी ज्यादा खाओ, सप्ताह में एक दिन एक वक्त उपवास करो, देश को अपना मान दो," पुरा देश उनके साथ खड़ा हो गया और भारत देश को किसी के आगे झुकना नही पड़ा । आज कोरोना संक्रमण के दौर में यदि शासकीय कर्मचारी अपना आधा वेतन सरकार को दान कर दें तो देश को रक्षा सौदों में कटौती नही करनी होगी । देश की सेना को मजबूत करने में सरकारी कर्मचारी अपना अमूल्य योगदान दे सकते है । सरकारी कर्मचारी सक्षम होते है 3 माह के लिए उन्हें ऐसा करने में कोई परेशानी नही होगी । उनका यह बलिदान देश को आर्थिक आपातकाल में भी मजबूती प्रदान करेगा ।
( लेखन एवं संकलन मिलिन्द्र त्रिपाठी )