प्रदेश में कोरोना को लेकर तीन प्रकार के हॉट स्पॉट रेड, ऑरेंज और ग्रीन बनाए गए है, उसमें धार्मिक नगरी उज्जैन को रेड हॉट स्पॉट में रखा गया है क्योंकि जिले में एक सौ उन्नीस कोरोना संक्रमित पॉजीटिव मरीज पाए गए है और बीस व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है तथा चार सौ मरीजों के कोरोना संक्रमण की जांच रिपोर्ट आना शेष है। जिले में कोरोना पॉजीटिव होने से पुलिस नीलगंगा के निरीक्षक एवं कलेक्टर कार्यालय उज्जैन के जिला नाजीर की मौत भी हुई है जबकि शहर में कोरोना पॉजीटिव का पहला मरीज 22 मार्च रविवार जिस दिन जनता कर्फ्यू था, उसी दिन जान्सापुरा में राबिया बी महिला पाई गई थी, जिसकी मृत्यु 25 मार्च को हुई थी। उसी आधार पर प्रशासन ने जनता कर्फ्यू के बाद तीन दिन का कर्फ्यू लगा दिया था और कोरोना की रोकथाम के प्रयास किए थे, इसी दौरान देश में 25 मार्च से लॉकडाउन 21 दिवस के लिए याने 14 अप्रैल तक के लिए लागू हो गया था, उसी दौरान कोरोना पॉजीटिव की संख्या में वृद्धि हुई तथा राबिया बी के परिवार के सदस्य जो पॉजीटिव पाए थे, उन्ही के साथ चार सदस्य जो पॉजीटिव रिपोर्ट से ठीक हुए थे, उन्हें डिस्चार्ज करने के बाद प्रशसन ने ऐसा सोचा कि शहर को काबू में ले लेंगे किंतु देश के प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन दूसरी बार 3 मई तक बड़ा दिया। 14 अप्रैल तक शहर में कोरोना पॉजीटिव की संख्या 27 थी जो मात्र दो सप्ताह में बढ़कर 119 तथा मृतकों की संख्या 6 से बढ़कर 20 हुई है याने तीन गुना कोरोना संक्रमित पॉजीटिव एवं मृतकों की संख्या में वृद्धि हुई है।
प्रदेश के 10 संभाग में से 8 संभागों में कोरोना संक्रमित मरीज पाए गए है, जिसमें इंदौर, भोपाल, उज्जैन, ग्वालियर, चंबल, जबलपुर, होंशगाबाद, सागर संभागों में कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए शासन प्रशासन मशक्कत कर रही है यहां तक कि हजारों की तादाद में कोरोना संक्रमित को होम क्वारोंटाईन कर रखा है तथा प्रदेश में दो हजार से अधिक कोरोना संक्रमित पॉजीटिव मरीज पाए गए है तथा एक सौ से अधिक की कोरोना संक्रमण के कारण मौतें हो चुकी है किंतु रीवा-शहडोल संभाग के सात जिलों रीवा, सतना, सीधी, सिंगरोली, शहडोल, उमरिया और अनूपपुर प्रदेश में एकमात्र ऐसा संभाग है जहां एक भी कोरोना संक्रमित मरीज नहीं पाया गया है। संभाग के आयुक्त अशोक भार्गव ने हमारे प्रतिनिधि को चलायमान फोन पर बताया कि लॉकडाउन के प्रतिबंधों तथा अन्य सुरक्षात्मक उपाय का सख्ती से पालन करने से यह कठिन कार्य सफल हो पाया है, आम जनता ने सुरक्षित सामाजिक दूरी तथा अन्य प्रावधानों का पालन कर प्रशासन को सहयोग किया है तथा लक्ष्मण रेखा का पुरी तरह पालन करते हुए कोरोना मिशन को हराना और इंसानियत को जीताना हमारा मोटो है, उसी को लेकर सभी कोरोना योद्धाओं और कर्मवीरों के साथ टीम भावनाओं के साथ काम करने का संकल्प लेकर कार्य किया है और लॉकडाउन का सख्ती से पालन करने के कारण ही कोरोना को हराया है, इसी को लेकर आकाशवाणी एवं दूरदर्शन ने भी रीवा -शहडोल संभाग में कोरोना संक्रमित मरीज नहीं पाए जाने को लेकर सराहना की। शासन को यहां के अधिकारियों के अनुभव का लाभ प्रदेश में लेना चाहिए, ताकि कोरोना की रोकथाम में इस आधार पर मदद मिल सकें।
प्रशासन ने आगर रोड़ स्थित रेड श्रेणी के अस्पताल आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज के अधिग्रहण के बाद जिले में हुए कोरोना पॉजीटिव मरीजों को ईलाज हेतु वहां भर्ती किया गया किंतु उन मरीजों का अस्पताल में ठीक ढंग से ईलाज नहीं किया जा रहा है, यहां तक कि साफ-सफाई, भोजन और मरीजों को ईलाज के दौरान दवाई एवं ऑक्सीजन भी समय पर उपलब्ध नहीं हो पा रही थी, इस संबंध में कलेक्टर के जिला नाजीर धर्मेन्द्र जोशी की जो आरडी गार्डी में मृत्यु हुई है, उसके संबंध में जोशी की पुत्री पूजा ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पापा ने फोन पर कहा था कि मेरी सास रूक रही है, यहां ऑक्सीजन चढ़ाने वाला तक कोई नहीं है, आरडी गार्डी अस्पताल से नहीं निकाला तो मैं मर जाऊंगा,
ऐसा मृत्यु पूर्व कथन धर्मेन्द्र जोशी ने उसकी पुत्री से फोन पर कहा था। जोशी की मृत्यु को लेकर आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को कटघरे में खड़ा किया है, यहां तक कि उसकी पुत्री ने जिला प्रशासन की लापरवाही से मेरे पिता की जान गई है, वे बीमार थे बावजूद उन्हें ऑफिस बुलाया गया था, ऐसा आरोप भी उसने लगाया है। इसी प्रकार आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर डॉ. वी.के. महाडिक ने अपने बड़े भाई जो इंदौर में रहते है और वे कोरोना पॉजीटिव थे जिन्हें इंदौर से चुपचाप लाकर उज्जैन चेरिटेबल एवं आरडी गार्डी अस्पताल में भर्ती कर दिया तथा उनका भतीजा जो पॉजीटिव था जिसके कारण अस्पताल की नर्स एवं अन्य व्यक्ति जब पॉजीटिव हुए तब यह ज्ञात हुआ कि डॉक्टर महाडिक के भाई के कारण अन्य व्यक्ति भी संक्रमित हो रहे है। यहां तक कि चार अप्रैल को दानीगेट निवासी एक महिला की आरडी गार्डी के आईसीयू का गेट नहीं खोला जाने के कारण उसकी मृत्यु हो गई थी, उसके बावजूद भी प्रशासन द्वारा आरडी गार्डी कॉलेज के खिलाफ इसलिए कार्यवाही नहीं की जा रही थी कि उनका संचालक मण्डल सत्ता पक्ष से जुड़ा हुआ है। विगत दिवस कोरोना पॉजीटिव अजीज नामक व्यक्ति जो आरडी गार्डी अस्पताल में भर्ती था, उसे मृत बता दिया था जबकि वह आज तक जीवित है, उसको लेकर भी प्रशासन की बड़ी किरकिरी हुई है पश्चात जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने अपने बुलेटिन में कहा कि अजीज जीवित है और वह त्रुटिवश जानकारी दी गई थी। सत्ता पक्ष का एक पार्षद भी कोरोना पॉजीटिव हुआ है, जो आरडी गार्डी में भर्ती है, उसने भी यह कहा है कि उसने भी शिकायत की है कि खाने लायक भोजन नहीं है, हाथ धोने के लिए साबुन, सेनेटाईजर नहीं देते है, सफाई तो दूर बाथरूम में बल्ब तक नहीं है, दो समय दवाई देते है तकलीफ बनाओं तो गौर नहीं करते है। उसको लेकर समाचार पत्रों में समाचार प्रकाशित हुए किंतु जिला प्रशासन ने उस और कोई ध्यान नहीं दिया। चारों और से जब जनप्रतिनिधियों एवं शहर के समाजसेवियों ने आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज की अव्यवस्थाओं को लेकर शिकायते करना शुरू करी तब जाकर जिला प्रशासन ने आरडी गार्डी को लायसेंस निरस्ती की चेतावनी को लेकर सूचना पत्र जारी किया है तब तक बहुत देरी हो चुकी थी। अब देखना यह है कि आरडी गार्डी के विरूद्ध शासन प्रशासन क्या कार्यवाही करता है या सूचना पत्र देकर अपनी इतिश्री कर देगा। शहर में कोरोना संक्रमित की वृद्धि दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है, यहीं स्थिति रही तो उज्जैन शहर प्रदेश के 10 हॉट स्पॉट जिले में होने के कारण 3 मई को भी लॉकडाउन से छूट मिलने की उम्मीद दिखाई नहीं देती है।
आरडी गार्डी में मरीजों की लगातार मौत और ईलाज में बढ़ती जा रही लापरवाही के मामले पर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के आदेश पर सोमवार को प्रदेश के प्रमुख सचिव नीतेश व्यास उज्जैन आए और उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से कहा कि इंदौर के अस्पताल नाम कमा रहे है और आपके अस्पताल की रेपुटेशन खराब हो रही है। सरकार पैसा दे रही है लेकिन यहां मरीज परेशान है, आपका मैनजमेंट ठीक नहीं है, उन्होंने कोरोना टेस्टिंग के लिए ट्रेनिंग को लेकर भी सवाल किए। उन्होंने व्यवस्था सुधार के लिए किए जा रहे कार्य को समझा और अस्पातल प्रबंधन को अपनी नाराजगी जताई, उसके बाद प्रशासन भी हरकत में आया और ताबड़तोड़ अस्पातल का प्रबंध भी अपने हाथ में लिया।
वैसे जिला प्रशासन ने लॉकडाउन के दौरान जो व्यक्ति शहर में घूम रहे है, उन्हें देश का दुश्मन कहकर संबोधित भी किया जा रहा है तथा उनके विरूद्ध लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर अस्थाई जेल में बंद भी किया गया है तथा जुर्माना भी लगाया जा रहा है, उसके बावजूद भी शहर में कर्फ्यू एवं लॉकडाउन के दौरान जो देश के दुश्मन घुम रहे है, उसके विरूद्ध सख्ती से कार्यवाही की जाना चाहिए क्योंकि उन्हीं के कारण कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। प्रशासन ने जो एक हजार से अधिक सब्जी के ठेले की अनुमति दी थी, किंतु विगत दो दिवस पूर्व उनकी अनुमति निरस्त कर दी है और वे सब्जी एवं फल के ठेले बंद है। प्रशासन द्वारा जारी अनुमति पास को कई लोगों ने डुप्लीकेट बना लिए है, जिनके विरूद्ध भी कार्यवाही की है। प्रशासन ने अगर सख्ती नहीं की तो कोरोना से संक्रमित मरीज मधुमक्खी के छत्ते की तरह फैल जाएंगे और उन पर काबू पाने में बढ़ी मशक्कत करना पड़ेगी जिसका खामियाजा शहर की जनता को भुगतना पड़ेगा। प्रदेश शासन को चाहिए कि रीवा-शहडोल संभाग में किए गए मॉडल को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में भी उसी मॉडल को ध्यान में रखते हुए कोरोना संक्रमित जंग से लड़ाई लड़ने का कार्य किया जाएं अन्यथा जिस प्रकार प्रदेश में जो 10 हॉट स्पॉट बने है वहां कोरोना संक्रमित मरीजों की लड़ाई लड़ने में बड़ी मशक्कत करना पड़ेगी जिसका खामियाजा सभी को भुगतना पड़ेगा।