भविष्य में नौकरी का क्या होगा? प्राइवेट सेक्टर के करोड़ों लोगों के सामने यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है। तमाम कंपनियों ने कर्मचारियों के सैलरी कट का ऐलान कर दिया है। भविष्य में नौकरियों तक पर संकट की स्थिति हो सकती है।दिहाड़ी मजदूर ,प्राइवेट कर्मचारी ,दैनिक वेतन कर्मचारी ,अस्थाई नौकरी वालो के लिए संकट का दौर शुरू हो चुका है । लॉक डाउन के दौरान घरों में रहने का खामियाजा भुगतने का टाइम आ गया है । मालिक लोग कह रहे है जब तुमने पुरे महीने काम ही नही किया तो वेतन काहे का । इस वर्ग के लोगो पर संकट इस लिए भी गहरा है क्योंकि इन्हें कोई गरीब नही मानता । न इनको राशन मिलता है न सरकार की किसी योजना का लाभ । कोरोना वायरस संकट की रोकथाम के लिए लॉकडाउन से नौकरीपेशा लोगों की समस्या भी बढ़ गई है और वे अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। कई क्षेत्रों में कर्मचारियों के वेतन में कटौती, सैलरी में सालाना वृद्धि नहीं होना तथा नौकरी जाने की आशंका ने उनकी समस्या बढ़ा दी है।
पीएम मोदी ने देश से अपील की थी कि अपने कर्मचारियों के वेतन कोई न रोके । अब मालिकों का कहना है कि इस पूरे महीने जब हमे कोई मुनाफा हुआ ही नही तो तुम्हे कहाँ से पैसे दिए जाएं । पूरी सैलरी काटने का जब कर्मचारी विरोध कर रहा है तो उसे नौकरी से निकालने की धमकी दी जा रही है । देश मे 40 करोड़ लोग इसी वर्ग से आते है इनकी सुध लेने वाला कोई नही । यह अपने मालिक की शिकायत तक कही नही कर सकते चुपचाप बैठने के अलावा इनके पास कोई रास्ता नही । पूरा महीना होते ही मकान मालिक मकान किराया के रुपये लेने आने लगे है और लॉक डाउन में ही रुपये न देने पर घर से निकालने की धमकी देने लगे है । सरकारों को चाहिए कि वेतन न देने वालो के ऊपर FIR दर्ज की जाए । एक हेल्प लाइन नम्बर जारी किया जाए जिस पर शिकायत करने वालो की जानकारी नोट की जाए लेकिन उस शिकायत को गुप्त रखते हुए मालिक पर ठोस कानूनी कार्यवाही की जाए । इस समय सरकार को सरकारी कर्मचारियों जिनमे पुलिस ,स्वास्थ्य कर्मी ,सफाईकर्मी को छोड़कर बाकी के वेतन को आधा कर देना चाहिए इससे बचने वाले करोड़ो रुपयों को ऐसे गरीब प्राइवेट कर्मचारियों को 3 माह तक आर्थिक लाभ देना चाहिए । शासकीय कर्मचारी सक्षम होते है उनके पास बचत का बहुत पैसा होता है लेकिन यह प्राइवेट कर्मचारी वेतन न मिलने से पाई-पाई को मोहताज हो जायेगे क्योकि इनका जीवन इसी वेतन से चलता है । इनके घरों के चूल्हे जलना बन्द हो जायेगे । वही लोन की क़िस्त को सरकार ने माफ नही किया है केवल आगे बढाया है लॉक डाउन खुलने के बाद इन 3 माह की किस्तों को भी एक साथ जमा करना होगा ।
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को सोमवार को एक एडवाइजरी जारी की है जिसमें सख्ती से कहा गया है कि COVID-19 आपदा की वजह से कर्मचारियों को न तो टर्मिनेट किया जाए और न ही पेमेंट काटा जाएगा,यह एडवाइजरी श्रम एवं रोजगार मंत्रालय (Ministry of Labour and Employment) के सचिव की तरफ से जारी किया गया है,इसमे कहा गया है कि इस समय अगर किसी कर्मचारी को टर्मिनेट कर दिया जाता है तो मौजूदा संकट की स्थिति और भी गहरी होगी,इससे कर्मचारियों के वित्तीय स्थिति पर भी असर पड़ेगा,लेकिन इस एडवाइजरी को प्राइवेट नियोक्ताओं ने मजाक में ले लिया है क्योंकि इसके अंदर सख्ती का कही कोई प्रावधान नही है । बिना सख्ती के कोई भी अपने कर्मचारियों को वेतन नही देने वाला है यह तय है लेकिन सरकार भी इसे हल्के में ले रही है । एडवाइजरी में कहा गया है कि अगर कोई कर्मचारी कोरोना वायरस आपदा की वजह से छुट्टी लेता है तो उसकी सैलरी में कोई कटौती न की जाए, साथ ही यह भी कहा गया कि अगर COVID-19 की वजह से ऑफिस बंद करना पड़ रहा है तो यह माना जाएगा कि कर्मचारी ड्यटी पर है,लेकिन सरकार की यह बात कोई मानने को तैयार नही है । अपने आप को कट्टर मोदी समर्थक बताने वाले प्राइवेट कंपनी के मालिक तक यह बात मानने को तैयार नही है । रोज कुआं खोदकर पानी पीने वाले सिद्धान्त पर काम करने वाले करोड़ो लोग है देश मे उनकी चिंता कोई नही कर रहा है । कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने भी सभी नियोक्ताओं से अनुरोध किया है कि वे अपने ऐसे किसी कर्मचारी का वेतन न काटें, जो बीमारी या सोशल डिस्टेंसिंग के कारण कार्य करने में असमर्थ हैं। परन्तु हमारे देश मे अनुरोध की भाषा कोई समझना ही नही चाहता उन्हें लगता है कर्मचारियों को वेतन क्यो दिया जाए जब वो काम पर आए ही नही जबकि कर्मचारि आने को तैयार था लेकिन पुलिस का डर था कि पुलिस घर से बाहर जाने नही दे रही थी । घर बैठने को मजबूर यह लोग अब किसके आगे हाथ फैलाये ऐसी एडवाइजरी को इनके मालिक घोल कर पी गए है । सरकार को जल्द से जल्द सख्त कदम उठाना होगा अन्यथा ऐसे लोगो की मौत भूख से होने लगेगी । यह मध्यमवर्गीय लोग शर्म के मारे कही से भोजन के पैकेट भी लेने नही जा पाएंगे गए तो लोग इन्हें ताने मार-मार के मार डालेंगे आखिर ऐसे लोगो की चिंता सरकार को करनी ही चाहिए ।
(लेखन एवं संकलन मिलिन्द्र त्रिपाठी)