कोरोना महामारी लॉक डाउन के बीच ऑनलाइन व्यापार को सरकार की हरी झंडी का विरोध हुआ तेज :-

सोचिए मुसीबत में सबसे ज्यादा आपके काम कौन आता है । आपके पड़ोसी,आपके मोहल्ले के आपके दुकानदार । मोहल्ले में कोई उत्सव हो तो यही लोग आपको चंदा देते है,आपके सुख और दुख में शामिल होते है । आज वक्त है इनके साथ खड़ा होने का । आज वक्त है सोशल मीडिया पर इनके लिए आवाज उठाने का । देश मे करोड़ो लोगो को छोटी दुकानों के माध्यम से रोजगार मिलता है । लाखो परिवारो को 2 वक्त की रोटी इन्ही दुकानों से मिलती है । यह दुकानदार पीएम मोदी के कट्टर समर्थक भी है,हर फैसले पर उनका साथ भी देते है । लेकिन इस बार सरकार ने कही चूक कर दी है जिसे सुधारने का वक्त है । गलत लोग हर जगह होते है कुछ दुकानदार भी गलत है,जो इस समय लोगो से अधिक कीमत वसूल रहें है । ऐसे लोगों का विरोध होना चाहिए लेकिन अच्छे दुकानदारों की एवं छोटे व्यापारियों की संख्या अधिक है इस लिए हमे उनका साथ देना चाहिए । 

मोदी सरकार के द्वारा लॉक डाउन में 20 अप्रैल से ऑनलाइन ट्रेडिंग कम्पनियों को बिक्री की अनुमति दिए जाने से छोटे एवं खुदरा व्यापारियों में आक्रोश पनप उठा है।व्यापारियों ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाना शुरू कर दी है । चुकी लॉक डाउन के कारण विरोध किसी सड़क पर न होकर सोशल मीडिया पर किया जा रहा है । जिसमे छोटे दुकानदार अपना दर्द खुलकर लिख रहे है । जिसमे वो लिखते है कि केन्द्र सरकार के द्वारा देशभर में ऑनलाइन ट्रेडिंग कम्पनियों को मोबाइल,इलेक्ट्रॉनिक समान,कपड़े आदि की बिक्री 20 अप्रैल से शुरू करने की अनुमति देकर व्यापारी समाज का मनोबल तोड़ने का काम किया है।ई-कामर्स कम्पनियों के कारण व्यापारी पहले से परेशान है उस पर से लॉक डाउन में उन्हें बिक्री की अनुमति देकर व्यापारी को दोहरी मार से गुजरना पड़ेगा। व्यापारियों ने सरकार के ऑनलाइन व्यापार शुरू करने के निर्णय को लेकर विरोध जताया है । दुकानदार लिख रहे है कि कोरोना संकट के दौरान देशभर के सभी छोटे-बड़े व्यापारी चालीस दिनों तक अपने कारोबार बंद रखकर सरकार को हर संभव सहयोग प्रदान कर रहें है । जिसका सरकार ने हमे यह सिला दिया है । देश के सबसे बड़े दुश्मन ऑनलाइन व्यापार को परमिशन देकर.. जो ना सरकार को चंदा देते हैं.. ना जनता को सहयोग कर रहे हैं।करोड़ों देशवासियों की मुसीबत में राहत के दूत बनकर आए हैं ये गली मोहल्ले के छोटे-छोटे व्यापारी.. इन्होंने ही अपने देश धर्म का पालन करते हुए राहत सामग्री पहुंचाई, पीएम को चंदा दिया और इनके साथ ही ऐसा व्यवहार ? कहीं से भी न्यायोचित नहीं है। केंद्र सरकार व्यापारियों को राहत दे और अपने फैसले पर शीघ्र पुनर्विचार करे।

व्यापारी संघो का कहना है कि 


ऑनलाइन व्यापार को अनुमति देने से पूरा कारोबार चौपट हो जाएगा। अनुमति सभी व्यापारियों को मिलनी चाहिए।घर-घर जाकर ऑनलाइन सामानों की सप्लाई देने वाले डिलीवरी ब्वॉय यदि कोरोना संक्रमित हुए तो यह महामारी सभी में फैलने की आशंका और प्रबल हो सकती है,व्यापारियों के हित मे इस फैसले को तत्काल वापस लिया जाये।

देश के व्यापारियों की दुकानें बन्द है जिससे उनका व्यापार चौपट होने की स्थिति में है। यदि अनुमति देनी है सभी को देनी चाहिए थी। बिजनेस व सामान की आपूर्ति ऑनलाइन कर देंगे, तो फिर हमारा व्यापारी कब व्यापार करेगा।छोटे व्यापारी सोशल मीडिया के माध्यम से केंद्र सरकार से यह मांग कर रहें है कि इन सभी को  बराबर व्यापार करने का मौका मिले एवं सभी व्यापारी सरकार के साथ है एवं उनके दिशा निर्देशों का पालन भी कर रहे हैं और आगे भी करेंगे।

व्यापारियों का पत्र केंद्र सरकार के नाम :-


ऑन लाइन बिक्री 15 मई तक प्रतिबंधित हो - 

ऑनलाइन व्यापार को 15 मई तक प्रतिबंधित किया जाए । लॉक डाउन अवधि में व्यापार बंद होने के बावजूद छोटे मध्यम व्यापारियों ने अपने कर्मचारियों को अपने परिवार की तरह वेतन और सुविधाएं दी ।

मकान मालिकों को किराया भी दिया। 

यहां तक कि बंद अवधि का बिजली बिल भी शासन द्वारा अब तक माफ़ नहीं किया गया है । उपरोक्त खर्चों से वे पहले ही अपने परिवार के पालन-पोषण को लेकर संकट से गुजर रहे हैं

। ऐसे में लॉक डाउन समाप्त होने के बाद अगले कुछ माह में उन्हें आर्थिक संकट से उबरने की उम्मीद है । 

लेकिन यदि इलेक्ट्रॉनिक, कपड़ा इत्यादि ऑनलाइन बिजनेस को पहले खोल दिया गया तो देश के लाखों व्यापारियों की आर्थिक बर्बादी लगभग तय है । अतः केंद्र सरकार अपने पालक होने का धर्म निभाए और 15 मई तक ऑनलाइन व्यापार को प्रतिबंधित करे । यहां यह भी अविस्मरणीय है कि देश में महामारी के संकट में संक्रमण के खतरे को जानते हुए भी देश के छोटे मध्यम किराना, सब्जी फल व्यापारियों ने दुकानें खोलकर जनता को सेवाएं दी ।यही नहीं कई बार उन्हें अनावश्यक रूप से परेशान भी होना पड़ा,तब भी उन्होंने सेवाएं जारी रखी जबकि ऑनलाइन व्यापार की कंपनियों ने पलायन कर रखा था । 


लेखन एवं संकलन मिलिन्द्र त्रिपाठी