आपको कोई बचाने आये ,कोई आपका इलाज करें बदले में आप उस पर थूकें । कोई महिला नर्स आपकीं रक्षा के लिए खुद की जान जोखिम में डालकर काम करें और उसके सामने आप अश्लील इशारे करें ,नग्न अवस्था मे घूमे यह शर्मनाक करतूत करके आप यह बता रहें हैं कि निजामुद्दीन के मरकज में आप इस्लाम के प्रचार के लिए इक्कठा नही होते आप वहां देश विरोधी गतिविधियों के लिए एकत्र होते है।धर्म के नाम पर आप उस जाहिल मौलाना साद की बात सुन रहें हो क्योकि तुम भी जाहिल हो जो जैसा होता है उसे वैसे लोग पसन्द आते है । तुम कोरोना संक्रमित होकर आए सोच रहें हो इसे देशभर में फैला दें तो इससे मरने वाले सबसे पहले तुम्हारे घर वाले होंगे बच्चे होंगे और उससे भी ज्यादा पागल पन जिस बस में आपको इलाज के लिए ले जाया जा रहा है उससे बाहर झांक कर आप दिल्ली की सड़कों पर थूक रहें है । किसी धर्म मे यह नही सिखाया जाता कि आप दूसरों की जान लो । तो एक साथ हजारों मानव बम देश मे घूम रहे है और इन मानवता के दुश्मनों का भी मोदी सरकार इलाज कर रही है । क्यो कर रही ? अरे उसे तो मुसलमानों का दुश्मन कहाँ जाता है वो क्यो मुसलमानों को बचाने में लगे है ? अरे जाहिलों उनके लिए तुम देश के नागरिक हो जिसे तुम दुश्मन मान रहें हो वो तुम्हारा मसीहा है । तुम्हारे कुछ जाहिल भाई डॉक्टर की टीम के पीछे इंदौर में दौड़े लानत है तुम पर । जो बचा रहा है उसी पर हमला कर रहें हो । निजामुद्दीन स्थित मरकज की इमारत से बुधवार सुबह तक 2000 से ज्यादा जमातियों को बाहर निकाला गया था। 167 लोगों को क्वारैंटाइन सेंटर ले जाया गया। जमातियों ने पूरी इमारत में जगह-जगह थूका। पुलिस और डॉक्टर्स को भी इन्होंने भलाबुरा कहा और उन पर भी थूका। स्टाफ को गालियां दीं। एक व्यक्ति ने तो खुदकुशी की भी कोशिश की।वही इंदौर के टाटपट्टी बाखल में बुधवार कोरोना संक्रमितों की जांच करने पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम पर लोगों ने पथराव कर दिया था।स्वास्थ्यकर्मी जान बचाकर भागे। यदि सही समय पर उनको बचाने तहसीलदार की गाड़ी उपलब्ध न होती तो यह डॉक्टर भीड़ के हाथों मारे जाते।उपद्रवियों ने पुलिस के बेरिकेट्स भी तोड़ दिए। पुलिस ने इनके खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा का केस दर्ज किया है। जांच टीम में दो महिला डॉक्टर भी शामिल थीं। हमला करने वालों पर अब राज्य सरकार रासुका के तहत कार्रवाई करेगी। शिवराज ने कहा कि ऐसा करने वाले लोग इंसान नहीं, इंसानियत के दुश्मन हैं। हम इन्हें सख्त सजा देंगे।वही लोगो ने समाज के दुश्मनों के प्रति सख्त शब्दो मे सोशल मीडिया पर निंदा की है । यहां तक कहाँ जा रहा है कि हमला करने वालो को मौत की सजा होनी चाहिए । यही जमात कोरोना के खिलाफ भारत की जंग को कमजोर रही है। आलम तो ये है कि इस मुश्किल वक्त में जो डॉक्टर अपनी जान की परवाह किए बगैर दिन-रात एक कर रहें हैं। उन्हीं डॉक्टर के सामने खेला जा रहा जाहिलयत का नंगा नाच, कोई नर्सों के साथ अश्लीलता कर रहा है, तो कोई थूक कर अपनी गंदी सोच को उजागर कर रहा है । वही
सहारनपुर के जमालपुर गांव में मंगलवार शाम मस्जिद के बाहर इकट्ठा लोगों को पुलिस ने हटने के लिए कहा। सोशल डिस्टेंसिंग की बात कही तो भीड़ मारपीट करने लगी। दो पुलिस जवानों को चोटें आईं। कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया था, उन्हें भी भीड़ ने छुड़ा लिया। 26 लोगों के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज किया है। वही पढ़ो लिखे के शहर बेंगलुरु में कोरोनावायरस से जुड़ा डेटा कलेक्ट करने गई एक आशा कार्यकर्ता पर लोगों हमला बोल दिया। कार्यकर्ता कृष्णावेनी का आरोप है कि एक मस्जिद से लोगों को भड़काया गया और इसके बाद उन पर हमला किया गया।उक्त मामलों में ऐसे दोषियों पर लगाई जा रही है रासुका । रासुका के तहत 12 महीने जेल में रखा जा सकता है । राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी रासुका के तहत केंद्र और राज्य सरकार किसी भी किसी ऐसे व्यक्ति को हिरासत में लेने का आदेश दे सकती है, जो कानून-व्यवस्था में बाधा बन रहा हो। उसे 12 महीने तक जेल में रखा जा सकता है। हिरासत में लिया गया शख्स उच्च न्यायालय के सलाहकार बोर्ड के सामने अपील कर सकता है, लेकिन उसे मुकदमे के दौरान वकील की अनुमति नहीं है। 23 सितंबर, 1980 को इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान रासुका बनाया गया था।
लेखन एवं संकलन मिलिन्द्र त्रिपाठी