हजारों मुसलमानों को मौत के मुहं में धकेलने वाले मरकज से कोरोना फैलाने के जिम्मेदार आयोजकों को जल्द से जल्द फांसी दी जाए

★441 लोगों में कोरोना वायरस से संक्रमण के लक्षण हैं। इनमें 300 संदिग्धों को लोकनायक जबकि 141 को राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती किया गया है। 

दिल्ली में निजामुद्दीन के मरकज में शामिल हुए लोगों की तलाश देशभर में जारी है। इस मामले के सामने आने के बाद से केन्द्र से लेकर राज्य सरकार में हड़कंप मचा हुआ है।निजामुद्दीन मरकज के मौलाना साद के खिलाफ सामाजिक, राजनीतिक या धार्मिक सभा के संबंध में केंद्र के प्रबंधन संबंधी सरकारी आदेश का उल्लंघन करने के मामले में महामारी रोग कानून और भारतीय दंड संहिता की अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।  लेकिन इतने भर से इस अपराध को नही आंका जा सकता देश के 10 हजार से ज्यादा नागरिकों की जान दांव पर लगाने की सजा इतनी मामूली नही हो सकती । ऐसे व्यक्ति को तो जल्द से जल्द फांसी दी जाए । ताकि आगे से देश का कोई भी व्यक्ति ऐसी सिरफिरी हरकत न कर सकें । यह कोई धार्मिल मुद्दा नही क्योकि इस व्यक्ति ने तो मुसलमानों की जान दांव पर लगा दी है । आखिर यह सबसे बड़ा दुश्मन तो मुसलमानों का ही है । यह उनका रहनुमा नही है बल्कि इसने अपने भाषणों में यह तक कहाँ की कोरोना वायरस का लॉक डाउन भाजपा सरकार की साजिश है ताकि मुसलमान मस्जिद में न जा सकें और इसके ऐसे बोले गए वीडियो को युट्यूब पर लाखों लोगों ने देखा इसे देश के खिलाफ साजिश के तौर पर उठाया गया कदम मानना चाहिए । इसके एक वीडियो से देशभर के लाखों मुसलमानों की जान दांव पर लगा दी गयी क्योकि अनेकों लोग इसके वीडियो सुनने के बाद मस्जिदों में पहुंचे और संक्रमित हुए । आखिर ऐसे जाहिलों को हम मौलाना कैसे मान सकते है ? दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित इस मरकज में आमतौर पर भी काफी लोग रहते हैं। तबलीगी जमात से जुड़े दिल्ली और आसपास के लोग यहां आते रहते हैं। हर जुमेरात को यहां एक तरह की बैठक होती है जिसमें लोग एक साथ बैठकर धर्म की बातें करते हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव लव अग्रवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि तबलीगी जमात के लोगों के देशभर के अलग-अलग हिस्सों में जाने की वजह से संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी हुई है।पिछले 24 घंटे में 386 मामले सामने आए हैं। इस बीच केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि तबलीगी जमात ने तालिबानी अपराध किया है। इस प्रकार की आपराधिक गतिविधियों के लिए माफ नहीं किया जा सकता। जमात ने कई लोगों की जान खतरे में डाली है। ऐसे संगठनों और लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। हो सकता है कि ऐसा जानबूझकर किया गया हो और यह दुर्भाग्यपूर्ण है।

मरकज निजामुद्दीन तबलीगी जमात के हेडक्वॉर्टर के तौर पर भी जाना जाता है। उससे पहले यह भी जान लें कि तबलीगी जमात क्या है और ये लोग क्या करते हैं? तबलीगी जमात से जुड़े लोग पूरी दुनिया में इस्लाम के प्रचार-प्रसार का काम करते हैं। 10, 20, 30 या इससे ज्यादा लोगों की जमातें (ग्रुप्स) देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से यहां पहुंचते हैं और फिर यहां से उन्हें देश के अलग-अलग हिस्सों में भेजा जाता है जहां की मस्जिदों में ये लोग ठहरते हैं और वहां के लोकल मुसलमानों से नमाज पढ़ने और इस्लाम की दूसरी शिक्षाओं पर अमल करने की गुजारिश करते हैं। यहां का कल्चर भी काफी घुलने-मिलने वाला है। लोग एक दूसरे से मुसाफा (हाथ मिलाना) करते हैं और ज्यादातर लोग एक ही थाली में खाना भी खाते हैं। इस तरह के कल्चर से कितना अधिक संक्रमण फैला होगा यह बताने की जरूरत नही है । यह लोग मानव बम बनकर घूम रहे है । देश भर में ऐसे अनेकों लोग होंगे जो यहां गए लोगो के संपर्क में अब तक आ गए होंगे । यहां गए हजारों लोग देश मे इस वक्त मानव बम बनकर घूम रहे है । ऐसे लोगो की पहचान में पुलिस की मदद करें आपके आसपास कोई हो तो पुलिस को जल्द से जल्द बताएं । ताकि संक्रमण को रोका जा सकें । यह संक्रमण धर्म जाती देखकर अटैक नही कर रहा है यह केवल मनुष्य पर अटैक कर रहा है । इस बात को ध्यान में रखकर मानवता की खातिर एक होकर इन वायरस से लड़ने का समय है । न कि धर्म के नाम पर जाहिलों के साथ खड़े होने का यह समय नही है । 

मरकज में 281 विदेशी नागरिक शामिल तो जो अब अपने-अपने देश मे कोरोना संक्रमण फैला रहें होंगे इन  विदेशियों में इंडोनेशिया (72), श्रीलंका (34), म्यांमार (33), किर्गिस्तान (28), मलेशिया (20), नेपाल (9), बांग्लादेश (9), थाईलैंड (7), फिजी (4), इंग्लैंड (3), अफगानिस्तान, अल्जीरिया, जिबूती, सिंगापुर, फ्रांस और कुवैत का एक..एक नागरिक शामिल हैं।

सरकार की चिंता इसलिए बढ़ी हुई है कि मरकज से गए दो हजार से अधिक विदेशी जमाती देशभर में इधर-उधर घूम रहे हैं। गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को इन्हें ढूंढकर तुरंत देश से बाहर निकालने का आदेश दिया है । 


लेखन एवं संकलन मिलिन्द्र त्रिपाठी