डॉ महाडिक जानलेवा गलती पर पर्दा डालने के लिए खुद को बता रहे है समाजसेवी-दानवीर ?
आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज के स्टॉफ में एक मित्र ने जब मुझे कहाँ कुछ भी कर लो डॉ महाडिक का कोई कुछ नही बिगाड़ सकता । सबको पता है वो गलत है ? लेकिन कोई उस पर कुछ कार्यवाही नही करने वाला ? तब मेने कहाँ घमंड तो बड़े बड़ो का नही टिका ,रावण तक का घमंड चकनाचूर हो गया तो ये क्या हस्ती है ? फिर मुझे उम्मीद जागी की आज नही तो कल  प्रशासन जल्द धारा 188,269,270 एवं 3/4 महामारी अधिनियम के तहत डॉ महाडिक पर कार्यवाही करेगा । जब जिला चिकित्सालय के एम्बुलेंस चालक सरफराज ने जमात के अपने रिश्तेदारों को चोरी से शहर में प्रवेश कराया था तब उस पर सख्त कार्यवाही की गई थी ताकि और कोई ऐसा कदम उठाने की सोच रहा हो तो वो डर जाए और ऐसा कदम न उठाएं । लेकिन प्रशासन के सामने एक ऐसे व्यक्ति ने पुनरावृत्ति कर दी जो आज भी निश्चिंत है कि उस पर कोई कार्यवाही नही होगी ? यह डॉ महाडिक इंदौर से अपने भाई को उज्जैन लाने के पीछे भाई प्रेम की वजह बता रहे है । लेकिन उज्जैन से इंदौर लाने के लंबे रास्ते मे कोई अनहोनी घटित हो जाती तो ? इंदौर में चिकित्सा सेवाएं उज्जैन के आरडी गार्डी से कई गुना अच्छी है । खुद महाडिक स्वयं इंदौर जा सकता था या अपने डॉ बेटे को इंदौर ताऊजी की देखरेख में भेज सकता था ? तब आखिर इस अनुभवी व्यक्ति के दिमाग पर कौन सा ताला डला था ? जिसकी शायद चाबी इसे न मिली हो ? 


उज्जैन के प्रबुद्ध वर्ग में आज एक चर्चा जोर-शोर से हो रही है । चर्चा का केंद्र बिंदु है आज बड़े अखबार के फ्रंट पेज पर प्रकाशित समाचार जिसमे डॉ.महाडिक ने अपनी छवि को दुरस्त करने के लिए एक न्यूज प्रकाशित करवाई है । एक समाजसेवक के तौर पर अपने पूरे खानदान का उल्लेख उस खबर में किया गया है । साथ ही उसमे डॉक्टर को बहुत बड़ा मानवता का सेवक बताया गया है उसमें उल्लेख किया गया है कि डॉक्टर ने अपने जीवन मे 35 लाख से अधिक लोगो का इलाज किया है । तारीफ करते-करते दिए गए इस आंकड़े को हजम कर पाना बेहद कठिन है ? उज्जैन एवं आसपास की कुल आबादी 10 लाख के इर्द-गिर्द है ऐसे में एक ही डॉक्टर 35 लाख लोगों का इलाज कैसे कर रहा है ? इस पर भी सवाल उठता है । पुरे अस्पताल ने अगर 35 लाख इलाज किये है तो कोई एक डॉक्टर कैसे उसका पूरा श्रेय ले सकता है ? मतलब झूठ का पुलिंदा छपवाने में डॉक्टर ने कोई कसर नही छोड़ी है । आप अपने भाई को चोरी छुपे उज्जैन ले आये । कोरोना महामारी के इस समय में जानकारी छुपाना किसी अपराध से कम नही । जैसे जिला अस्पताल का एक ड्राइवर सरफराज अपने रिश्तेदारों को लेकर उज्जैन आया चोरी छुपे ओर बाद में प्रशासन ने उस पर सख्त कार्यवाही की लेकिन इस वक्त प्रशासन मौन है ? क्योंकि लोगो का कहना है कि पर्दे के पीछे से महाडिक का सारा खेल एक बुजुर्ग भाजपा नेता के इशारे पर संचालित होता है । यह बुजुर्ग नेता पूर्व में मंत्री रहा है । यही कारण है कि अस्पताल की एंबुलेंस का गलत प्रयोग करने पर एक छोटा कर्मचारी निलंबित हो जाता है। लेकिन एंबुलेंस का ही गलत प्रयोग कर चोरी छुपे अपने भाई को लाने पर यह डॉक्टर बिन कार्यवाही के आजाद घूम रहा है । अब जबकि भाई कोरोना संक्रमित निकल चुका है और पूरे स्टाफ को निगरानी में रखा गया है तब एक ओर बड़ा खुलासा हो गया कि इस डॉ महाडिक ने अपने भाई की आरडी गार्डी में ही एमआरआई भी करवाई थी । अब एमआरआई करने वाले 5 सदस्यी स्टाफ भी दशहत में है और इस एमआरआई की जानकारी भी प्रशासन से छुपाई गयी । लोगो के बीच एक ओर बड़ा प्रश्न उठ रहा है । कोरोना संक्रमित भाई को चैरिटेबल में ले जाकर इलाज करवाना भी एक बड़ी चूक है क्योंकि जब आरडी गार्डी को मुख्य सेंटर बनाया गया है और महाडिक उसी आरडी गार्डी के डीन है तो कैसे उन्होंने स्वयं आरडी गार्डी पर भरोसा न करके चैरिटेबल में अपने भाई को इलाज के लिए भेजा । जबकि चैरिटेबल में भी बिना महाडिक के आदेश कोई पत्ता नही हिलता है वो चाहते तो वहां के पसंदीदा डॉक्टर को आरडी गार्डी बुलाकर अपने भाई का इलाज करवा सकते थे ?फिर चैरिटेबल के स्टाफ के साथ जान से क्यो खिलवाड़ किया गया ? जब हर मोबाइल की रिंगटोन में आ रहा है कोरोना के लक्षण क्या है तो यह डॉक्टर होकर अपने भाई के लक्षण पता नही कर पाये तो आखिर कैसे मान लिया जाए कि यह 35 लाख लोगो का उपचार कर चुके है इतने महान अनुभवी डॉक्टर है । लोगो का कहना है कि अभी डॉ महाडिक के भाई के संपर्क में कितने लोग आए है उन सबके सेंपल नही लिए गए है कुछ चुनिंदा लोगो के सैंपल लिए गए है जिनकी भी रिपोर्ट आना बाकी है । डॉ महाडिक ने आज जो न्यूज छपवाई है उसमें खुद को और परिवार को समाजसेवक बताया है । समाजसेवक होना अच्छी बात है लेकिन समाजसेवक और डॉक्टर होने के बाद आपकीं जिम्मेदारी और बढ़ जाती है ऐसे में आपने जानकारी छुपा कर जो अपराध उज्जैन की जनता के साथ किया है उसका पछतावा न होकर आपको न्यूज छपवाना पड़ रही है यह इस बात का प्रमाण है कि कही न कही आप ने बड़े पैमाने पर गलती की है । नही तो 40 साल से कभी आपको और आपके परिवार को यह सब छपाना नही पड़ा फिर आखिर इस वक्त इसकी क्या जरूरत पड़ गयी ? आपने इस खबर में लिखवा दिया कि विदेश में बड़े भाई के 3 बेटे है वो पिता की तबियत खराब होने पर भी नही आ पाए, इसमें इनके खास लोगो के बयान है एक व्यक्ति लिख रहा है कि इन्होंने 60 लोगो को अपने घर मे रखकर पढ़ाया ओर काबिल बनाया, हमारा कहना है उन 60 काबिल लोगो की नाम और किस काबिल बनाया बता दीजिये?इसी बयान में लिखा गया कि उज्जैन में समाज सेवा के डॉ महाडिक ने कई काम किये ? कौन से काम किये उज्जैन की जनता को जानकारी में है । पहला काम अब से चंद दिन पहले एक महिला को तड़प कर मरने दिया गया 3 चाबी होने के बाद भी दरवाजा नही ख़ोला ,जबकि कलेक्टर ने डॉ महाडिक को डायरेक्ट निर्देश दिए थे उक्त महिला के इलाज करने के लिए । शायद इनका समर्थक इसे ही समाजसेवा समझ बैठा है ? अब समाज सेवा की दुहाई देने वाला डॉक्टर उस वक्त खामोश थे जब इन्ही के कॉलेज में एक प्रोफेसर छात्राओं के साथ यौन शोषण में लिप्त पाया गया था ? जिसे जेल की सजा तक हुई ? उस वक्त भी यह समाजसेवक खबर को दबाना चाहता थे । इस खबर को ध्यान से देखने पर पाया गया कि डॉ महाडिक के पक्ष में बोलने वाले कोई जाधव है संभवतः दोनो बयान एक ही परिवार के व्यक्ति के लिए गए । मतलब साफ है इनके पक्ष में 2 अलग-अलग परिवार के लोग तक इन्हें नही मिले । 35 लाख लोगों में से 2 लोग इन्हें नही मिले जो इनके पक्ष में बोलते । कानून सबके लिए एक है । डॉ हो या कोई और यह देश डॉक्टरों का बहुत सम्मान करता है । डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है लेकिन आप जैसे डॉक्टर को नही, आप किस तरह के डॉक्टर हो जिसने चिकित्सा धर्म से ही खिलवाड़ कर दिया । उज्जैन में अनेकों लोगो की जान दांव पर लगाकर ? जनता मांग कर रही है इन डॉक्टर पर रासुका लगाने की एवं सख्त कार्यवाही करने की । 2 दिन में यदि उज्जैन प्रशासन कोई कार्यवाही नही करता है तो उज्जैन के नागरिक होने के नाते गृह मंत्रालय में इस डॉक्टर की पूरी रिपोर्ट बनाकर भेजने पर मुझे विचार करना होगा ? 

(लेख का स्त्रोत उज्जैन के वरिष्ठ पत्रकारों के फेसबुक आईडी पर की गई पोस्ट ,आम लोगो द्वारा सोशल मीडिया पर किये गए कमेंट ,समूह चर्चा ,डाली गई पोस्ट ,समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों के आधार पर है )

लेखन एवं संकलन मिलिन्द त्रिपाठी