राजनैतिक दुश्मनी निकालने की जगह जन हितेषी काम पर ध्यान दें राजनैतिक पार्टियां


भारत की राजनीति आज एक अलग तरह के दौर में प्रवेश कर गयी है । जहां पक्ष विपक्ष की लड़ाई बहुत निचले पायदान पर है । अब केवल चुनाव तक लड़ाई सीमित नही रह गयी है । अब यह लड़ाई चुनाव बाद अपने विरोधी को धूल चटाने के लिए रोज नए षड्यंत्र तक जा चुकी है इससे अभी भी आगे देश हित के कार्यो में भी राज्य सरकार केंद्र के बनाये कानून को राज्यो में लागू नही कर रही है क्योंकि केंद्र में अलग दल की सरकार है राज्य में अलग दल की सरकार उससे भी एक कदम आगे यह कि केंद्र की योजना तक को राज्य लागू नही होने दें रहे । जहां पूरा देश जिन मुद्दों पर एक नजर आना चाहिए वहां भी आजकल राजनैतिक रोटियां सेकी जाती है । ताजा उदाहरण मध्यप्रदेश में देखने को मिलता है यहां उज्जैन में सत्ता पक्ष ने अपने विरोधी पार्टी के हर कार्यकर्ता को लिस्ट बनाकर टारगेट किया है । उस पर भी मन नही भरा तो उन पर जिलाबदर जैसी कार्यवाही करवा दी गयी जैसे वो बहुत बड़े अपराधी है । क्या इस तरह के कृत्य अब खत्म हो जायेगे ? आने वाले समय मे सत्ता फिर बदल गयी तो क्या उस समय आज के विपक्षी नेता पलटवार नही करेंगे ? बदले की राजनीति बहुत भयानक स्तर पर है । वही केंद्र की सरकार भी आयकर के डंडे से अपने विरोधियों को बुरी तरह पिट रही है । जिसका नतीजा राज्यो में उनकी पार्टी के लोग भी बदले की राजनीति पर उतर आए है । एम.पी. में कांग्रेस सरकार बीजेपी को बख्शने के बिलकुल मूड में नहीं है। एक तरफ बीजेपी जनप्रतिनिधियों को मौका मिलते ही कानून के शिकंजे में उलझाया जा रहा है तो दूसरी उनके धनबल पर भी करारा प्रहार किया जा रहा है । सांसद केपी यादव ने सिंधिया को हराकर चुनाव जीता कभी सिंधिया के प्यादे समझे जाने वाले से महाराज हार गए तो बहुत दुखी हुए। जैसे ही उनके फर्जी जाती प्रमाण पत्र का मामला आया सरकार पर दबाव बनाकर सिंधिया ने टीआई को ही फरियादी बनाकर मामला दर्ज करवा दिया । एसपी ने कार्यवाही पर समय लगाया तो उसे हाथों हाथ जिले से बाहर फिकवा दिया । ठीक इसी तरह हाल ही में देवास सांसद को मुख्यमंत्री को काले झंडे दिखाने के जुर्म में गिरफ्तार किया जबकि लोकतंत्र में इससे भी खतरनाक विरोध पर मुख्यमंत्रियों को मुस्करा कर निकलते देखा है । तो लोकतंत्र की खूबसूरती इसी में है कि विरोधी का भी सम्मान किया जाए लेकिन लगता है यह बात केवल किताबो में पढ़ने को अच्छी लगती है वास्तविकता से इसका कोई लेना देना नही है । संजय पाठक की परेशानी तो सबसे ज्यादा है कांग्रेस छोड़ सत्ता के लालच में बीजेपी में आये सत्ता चली गयी अब खदानों का बिजनेस पर कांग्रेस की नजर रोज नुकसान करने पर भी कांग्रेस का मन नही भर रहा है इस समय प्रदेश में सबसे ज्यादा परेशान संजय पाठक ही है ।



मध्यप्रदेश की विधानसभा में  नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव (भाजपा )ने कमलनाथ सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि एंटी माफिया अभियान के नाम पर सरकार भाजपा कार्यकर्ताओं को टारगेट कर रही है। उन्हें दबाने का प्रयास किया जा रहा है। समय रहते ही कमलनाथ सरकार संभल जाए नहीं यदि जनप्रतिनिधियों को दबाया जाएगा तो हम सड़कों पर उतरेंगे। उन्होंने सरकार को चेतवानी देते हुए कहा कि वक्त रहते संभल जाए वरना परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें। आगे उन्होंने कहा कि 
हमारे वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने जब कमलनाथ सरकार की बदले की भावना से बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ की जा रही कार्रवाई का विरोध किया तो उनके ऊपर भी आपराधिक मामला दर्ज कर दिया गया। मैं कमलनाथ सरकार के इस कारनामें की निंदा करता हूं।' गोपाल भार्गव ने कमलनाथ सरकार को चुनौती देते हुए कहा, 'मैं राज्य सरकार को चेतावनी दे रहा हूं। सरकार वक्त रहते संभल जाए नहीं तो परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें।
राज्य भाजपा के कार्यकर्ताओं पर रासुका लगा रहा है केंद्र हटवा रहा है । पड़ोसी राज्य छतीसगढ़ का हाल भी कुछ ऐसा ही है छत्तीसगढ़ में रायपुर मेयर, नौकरशाहों और कारोबारियों पर कार्रवाई के लिए पहुंची इनकम टैक्स टीम की गाड़ियों को जब्त करने का मामला गरमा गया है। भाजपा ने इसे अधिकारियों को कार्रवाई से रोकने का कदम बताया तो कांग्रेस ने कहा है कि गाड़ियों का चालान नियमानुसार नो-पार्किंग के चलते किया गया । आयकर विभाग  की गाड़ियों को जब्त करने की देश मे यह शायद पहली कार्यवाही हो । इसे आयकर से छापे से अपने नेताओं को बचाने की कांग्रेस की ढाल के रूप में देखा जा रहा है । यह लड़ाई अंतहीन है, इसमें जनता पिसा रही है, क्योंकि जन हितेषी मुद्दे पीछे छूट गए है । अभी फसलों पर मौसम की बुरी मार पड़ी खड़ी फसल को राज्य में कई जगह नुकसान हुआ पर किसानों की सुध किसी को नही सब अपने विधायकों को बचाने में लगे है । तो कई तो विधायक भी पैसे कमाने के पैंतरे खोज रहे है एक दिन मोबाइल बन्द कर लो फिर आपके निवास पर राज्य के बड़े बड़े नेता आपको मनाने आ रहे है लेकिन जनता के पास कोई नही जा रहा । जनता आखिर जाए तो जाए कहाँ । 



लेखक :- मिलिन्द्र त्रिपाठी