★ चीन से आयात पर वर्तमान में प्रतिबंध वहां से आने वाला समान अभी देश मे नही आ पा रहा है ऐसे में चीनी बादशाहत वाले उद्योगों के समांतर मेड इन इंडिया उद्योगों को खड़ा करने का सबसे बड़ा अवसर हो सकता है ।
★भारतीय बेरोजगारों को रोजगार दिया जा सकता है ।
क्या सच मे दुनिया मे हजारों मौतों का जिम्मेदार वायरस फायदेमंद भी हों सकता है । मेरी बात वाट्स एप के उस वीडियो की तरह नही हैं जिसमे बताया जा रहा है कि एक प्याज खाने से कोरोना वायरस डर के भाग जाएगा । न मेरी बात किसी कल्पना से परिपूर्ण है । मेरी बात एक सच पर आधारित है । में शहर की एक दुकान पर इलेक्ट्रॉनिक समान लेने पहुंचा मेने उससे जो समान की डिमांड की दुकानदार का कहना था नया स्टॉक अभी नही आया क्योकि चीन में कोरोना वायरस है अपना समान वही से आता है । मेने प्रश्न किया क्या यह इलेक्ट्रॉनिक समान अपने देश में निर्मित नही होता उसका कहना था नही । बस इसी नही में मुझे एक नया आइडिया आया मेने सोचा आप से साझा करता हूँ, हो सकता है हमे इसके बहुत अच्छे परिणाम मिल जाये । चीन हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है वो हमेशा हमारे दुश्मन पाकिस्तान का साथ देता है । पाकिस्तान का साथ देना ही आतंकवाद का साथ देने के समान है । जब - जब चीन ने विश्व मंच पर हमारे खिलाफ काम किया जनता द्वारा चीन के समान का बहिष्कार करने की बात भी आपने सुनी होगी । चीन का समान इतना सस्ता होता है कि विरोध करने वालो को भी न चाहकर उसे लेना ही पड़ता है । भारत सरकार अंतराष्ट्रीय नियमो में बंधी हुई है वो चीन के आयात पर प्रतिबंध नही लगा सकती । पाकिस्तान के साथ देने पर चीनी वस्तुओं पर पूरा बैन लगाने की अपील देश मे होने लगती है । ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने तो चीनी वस्तुओं पर 300 फीसदी टैरिफ लगाने का सुझाव सरकार को दिया है ताकि उनके सामान की खपत को हतोत्साहित किया जा सके । लेकिन यह सब इतना आसान नही 2016 में राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में तत्कालीन वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने खुद कहा था कि भारत विश्व व्यापार संगठन के नियमों की वजह से चीनी वस्तुओं पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगा सकता है । लेकिन कहते है भगवान के घर देर है लेकिन अंधेर नही ओर ऐसा ही कुछ चीनी शैतान के साथ हुआ बिना किसी युद्ध के उसके देश के हजारों लोग मारे गए अपने आप को महाशक्ति कहने वाला देश का घमंड धरा की धरा रह गया । वो अपने नागरिकों को बचा नही पाया । आज चीनी लोग अमेरिकी सैनिको को इसका जिम्मेदार बताकर दोषारोपण कर रहे है लेकिन असली वजह वहां की जनता का कॉकरोच ,चूहा ,कुत्ता ,सांप को साबुत खा जाना है । यह केवल मांसाहारी नही है बल्कि यह देश राक्षस प्रवृत्ति का देश है । इसकी सजा इन्हें ईश्वर ने दी । अब आते है मुद्दे की बात पर चीन में कोरोना वायरस संक्रमण का भारत के आयात पर काफी असर पड़ा है, सबसे ज्यादा असर कंस्ट्रक्शन, ऑटो, केमिकल्स और फार्मा सेक्टर पर पड़ता दिख रहा है । अगर चीन में हालात जल्द सामान्य नहीं हुए तो इन उद्योगों को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है । ठीक इसी जगह भारत के बेरोजगारों के लिए सबसे बड़ी उम्मीद का समय है जो उत्पाद हम चीन से आयात नही कर पा रहें उनका उद्योग स्थापित करें और समय का उपयोग करते हुए चीनी पकड़ वाले हर क्षेत्र में अपनी बादशाहत कायम कर लें । ताकि 3 महीने बाद भी जब चीन से आयात सामान्य होगा जब तक मेड इन इंडिया के समान चीनी समान पर भारी पड़ जाएंगे और चीन को सबसे बड़ी चोट होगी । भारत में इलेक्ट्रिकल मशीनरी, मैकेनिकल अपलायंसेज, ऑर्गेनिक केमिक्लस, प्लास्टिक और सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट का चीन से बड़े पैमाने पर आयात होता है, देश के कुल आयात में इन चीजों की 28 फीसदी हिस्सेदारी है, विश्लेषकों का कहना है कि अगर चीन में स्थिति नहीं सुधरती है तो इन चीजों की सप्लाई पर लंबे समय तक असर पड़ेगा । इन्ही क्षेत्रो में सरकार को मेड इन इंडिया उत्पादों की शुरुआत कर देनी चाहिए इससे करोड़ो युवाओं को रोजगार मिलेगा और देश तरक्की करेगा । वित्त वर्ष 2017-18 में भारत ने 507 अरब डॉलर का आयात किया था,इसमें चीन की हिस्सेदरी 14 फीसदी यानी 73 अरब डॉलर थी, चीन में कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते फैक्ट्रियों में 17 फरवरी के बाद भी उत्पादन शुरू होने की उम्मीद नहीं है,वहां कोरोना वायरस पर पूरी तरह नियंत्रण के बाद ही हालात सामान्य होने की उम्मीद है । यही सबसे उचित समय है चीन की दादागिरी को जवाब देने का जो 2 बड़े क्षेत्र है जिनमे चीन के समान का दबदबा है । आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत करीब 40 फीसदी ऑर्गेनिक केमिकल्स चीन से आयात करता है ।भारत करीब 40 फीसदी इलेक्ट्रिक मशीनरी का आयात भी चीन से करता है । यदि भारत के बेरोजगारों का सरकार भला करना चाहती है तो सरकार को ऐसे बड़े उद्योग स्थापित करना चाहिए और जिन्हें सरकार द्वारा हाल ही में प्रधानमंत्री कौशल विकास में ट्रेनिंग दी
गयी है उन्हें रोजगार देकर सरकार बेरोजगारी से लड़ रही युवा पीढ़ी को आगे बढ़ा सकती है ।
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लेखक - मिलिन्द्र त्रिपाठी