गरीब जनता या बेरोजगार जब बैंकों में लोन लेने जाते है तो बैंक कर्मी उन्हें
हिकारत भरी नजरों से देखते है । मुद्रा बैंक के केवल 50/- हजार के लोन तक को देने में इतनी आनाकानी की जाती है, कि परेशान होकर लोग बैंकों से चले जाते है । इस योजना का सारा अधिकार बैंकों को होता है यदि बैंक मैनेजर की आपसे दोस्ती है तो आपको तत्काल लोन मिल जाता है । कई बार तो मैनेजर आपको नई स्किम आने पर स्वयं फोन करके बुलाते है । इसमें उनका कमीशन भी सेट होता है । ठीक इसी तरह प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना ,मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना का सारा असली पॉवर इन्ही बैंक अधिकारियों के पास होता है यह केवल कमीशन देने वाले या पहचान वालो की फाइल पर ही लोन सेंशन करते है । आम नागरिक चक्कर काट - काट कर परेशान होता रहता है । हाल ही में यश बैंक को ही ले लीजिए कमीशन के लालच में बैंक के अधिकारियों ने बड़े - बड़े डिफॉल्टरों को लोन बांट दिए जिन्हें वसूलना बैंक के लिए असम्भव हो गया । बैंक अधिकारी अपनी मौज मस्ती में व्यस्त रहें, जिसका नतीजा आम ग्राहकों को भुगतना पड़ रहा है । बैंक पूरी तरह बन्द होने के कगार पर है । रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इसके बाद येस बैंक पर कैप लगाई और ग्राहक सिर्फ 50/- हजार रुपये महीना ही निकाल सकता है, इसी के बाद जांच एजेंसियां एक्टिव हुईं और राणा कपूर को हिरासत में लिया गया ।यस बैंक ने अप्रैल 2018 से जून 2018 के बीच डीएचएफएल में 3,700/- करोड़ रुपये का निवेश किया। इसके बाद यस बैंक ने डीएचएफएल ग्रुप की एक अन्य कंपनी को 750/- करोड़ रुपये का दूसरा लोन दिया। प्रियंका गांधी जो कि नेता है लेकिन उनके द्वारा बनी पेंटिग इतने रेट में खरीदी गई जितनी किसी पेंटर की भी नही खरीदी जाती , 2/- करोड़ रुपये की पेंटिंग खरीदी गई , जो कि आश्चर्यजनक रकम है । आखिर एक नेता की एक साधारण पेंटिग को 2/- करोड़ में क्यो खरीदा गया ? प्राप्त 2/- करोड़ की राशि का प्रियंका गांधी ने क्या किया ? पेंटिग खरीदने के लिए दलाल की भूमिका किसने निभाई ? उस पेंटिग से बैंक को क्या फायदा था जो दो करोड़ में यह पेंटिग खरीदी गई ? जबकि पेंटिग में एक भी बात ऐसी नही जो कोई 5 वी क्लास में पढ़ने वाला बच्चा न बना पाए । ईडी ने रविवार को हॉलिडे कोर्ट में अपने रिमांड ऐप्लिकेशन में मनी लॉन्ड्रिंग की पूरी कहानी को बताया कि किस तरह राणा कपूर ने अपने परिवार के नियंत्रण वाली कंपनियों के जरिए 2,000/- करोड़ रुपये से ज्यादा की रिश्वत ली। किस तरह यस बैंक की पब्लिक मनी की राणा परिवार और डीएचएफएल के वधावन ब्रदर्स के बीच बंदरबांट की गई। इसके अलावा ईडी ने राणा की सेक्रटरी के जरिए करोड़ों के रिश्वत लेने की पूरी बात का सिलसिलेबार विवरण दिया ।
राणा की सेक्रेटरी लता दवे ने डीएचएफएल के अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके 600/- करोड़ रुपये का लोन लिया, जिसे रिश्वत माना जा रहा है। यह लोन DOIT अर्बन वेंचर्स नाम की फर्म के लिए लिया गया, जिसकी कर्ताधर्ता यस बैंक के फाउंडर की तीनों बेटियां हैं। ईडी के मुताबिक, यह रिश्वत यस बैंक द्वारा डीएचएफल ग्रुप की कंपनियों के लिए मंजूर किए गए लोग और 4,450/- करोड़ रुपये के डिबेंचर इन्वेस्टमेंट के बदले में चुकाई गई थी।
मिराशी ने ईडी को बताया कि DOIT अर्बन वेंचर्स में कोई कारोबारी गतिविधियां या राजस्व नहीं होने के बावजूद उसे 600/- करोड़ रुपये का लोन दिया गया। इतना ही नहीं, लोन को ऐसे स्ट्रक्चर किया गया कि प्रिंसिपल अमाउंट को 2023 में चुकाना था यानी 5 साल बाद और वह भी एक साथ । ईडी के विशेष वकील सुनील गोंजाल्वेस ने रविवार को कोर्ट को बताया कि 'पब्लिक मनी के डिपॉजिट्स का इस्तेमाल 3700/- करोड़ रुपये का लोन' लेने में किया गया। इसके अलावा 600/- करोड़ का एक अलग से लोन लिया गया। इस तरह कुल 4,300/- करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई। गोंजोल्वेस ने कोर्ट को बताया कि यस बैंक के पैसे को डीएचएफएल और परिवार की कंपनियों में बांटा गया जिसकी जांच की जरूरत है। सीबीआई ने येस बैंक के संस्थापक राणा कपूर के खिलाफ धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है। इससे पहले येस बैंक के संस्थापक राणा कपूर के परिवार पर ईडी ने शिकंजा कस दिया। राणा कपूर की बेटी के साथ दामाद के खिलाफ भी लुकआउट नोटिस जारी किया था। मुंबई एयरपोर्ट पर राणा कपूर की बेटी रोशनी कपूर को रोक लिया गया। रोशनी कपूर लंदन जा रही थीं। सूत्रों के अनुसार रोशनी को जांच में शामिल होने के लिए कहा गया है। इससे पहले ईडी ने यश बैंक के संस्थापक राणा कपूर को कोर्ट में पेश करने से पहले मेडिकल जांच के लिए अस्पताल में भर्ती कराया है। मेडिकल के लिए उन्हें जीटी अस्पताल ले जाया गया है। इसके बाद उन्हें अदालत मे पेश किया गया जहां उन्हें अदालत ने 11 मार्च तक ईडी की हिरासत में भेज दिया है। जबसेआर.बी.आय.( RBI) ने इस यस बैंक को नो बैंक किया है, ग्राहक परेशान है, वो 50/- हजार प्रति दिन निकालने जा रहे है तो उन्हें केवल टोकन दिया जा रहा है ।केस नही होने का बहाना बनाया जा रहा है । चैक बाउंस हो रहें है । किसी भी मनी ट्रांसफर प्लेटफार्म पर राशि को ट्रांसफर नही किया जा सकता अब ग्राहक वेवजह बंधक बन गए है । ऐसी प्राइवेट बैंकों में यदि आपके भी बैंक खाते हो तो उन्हें शासकीय बैंकों में तब्दील कर लीजिए नही तो किसी दिन आप भी इस समस्या से ग्रस्त हो जायेगे ।
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लेखन एवं संकलन - मिलिन्द्र त्रिपाठी