शाहीनबाग से फैली नफरत अपना असर दिखाने लगी है मौजपुर और जाफराबाद में शाहीनबाग कॉपी पेस्ट करने की नाकाम कोशिश


दिल्ली के जाफराबाद में नागरिकता कानून सी ए ए और एन आर सी को लेकर आज फिर से हिंसा भड़क उग्र हो चुकी है। सोमवार दोपहर समर्थकों और विरोधियों के बीच एक बार फिर जोरदार झड़प हुई। दोनों ओर से लगातार फायरिंग हो रही है। वहीं प्रदर्शनकारियों ने तीन गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया है। इसमें फायरबिग्रेड भी शामिल है ।  यह न्यूज सुनकर सबसे पहले विचार आता है कि शाहीनबाग की कॉपी पेस्ट करना कही सी ए ए विरोधियों को भारी तो नही पड़ गयी । अभी तक सी ए ए विरोधियों को आसानी से आंदोलन करने दे रहे देशवासी उन्हें सबक सिखाने को आतुर क्यो नजर आने लगे है । देश की जनता लगता है सी ए ए विरोधियों से परेशान हो गयी है । सरकार लोकतंत्र के नाम पर चुप रह सकती है लेकिन देश की जनता सी ए ए विरोधियों को सबक सिखाने को बेताब है । सी ए ए विरोध के नाम पर उज्जैन के बेगमबाग में सड़क पर कब्जा किया हुआ है जिसके कारण महाकाल जाने का मार्ग बाधित है । महाशिवरात्रि पर इस कारण बाहर से आने वाले महाकाल भक्तों को बहुत परेशानी हुई । दिखावा करने के लिए वहां पर श्रद्धालुओं को कुछ वितरण निःशुल्क रखा गया था । लेकिन अधिकांश लोगों ने निशुल्क खाद्य सामग्री गृहण न करके स्पष्ट सन्देश बिना बोले दे दिया । सी ए ए के विरोध का अभी तक कोई ठोस कारण कोई विरोधी नही बता पा रहा है । नागरिकता कानून को लेकर चल रहा विरोध प्रदर्शन रविवार को हिंसक हो गया। दिल्ली और अलीगढ़ में भारी हिंसा की खबर है। दिल्ली के जाफराबाद में बहुत अधिक संख्या में आम नागरिकों का एक समूह नागरिकता कानून सी ए ए के समर्थन में धरने पर बैठ गया। इसके बाद सी ए ए के विरोधी पक्ष के लोग भी सामने आ गए। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच जमकर पत्थरबाजी हुई है । फिर पत्थर बाजी से भी मन नही भरा तो लोग आपस मे फायरिंग भी करने लगे । अभी तक स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है । सबसे ज्यादा तनाव बाबरपुर रोड़ पर है। यहां घरों पर खिड़की दरवाजों में तोड़-फोड़ की गई है। गोलियां ऐसे चलाई गईं जैसे बॉर्डर पर युद्ध हो रहा हो । इसी तरह सी ए ए को लेकर रविवार को अलीगढ़ का माहौल एक बार फिर बेहद तनावपूर्ण हो गया है। हिंदुओं ने जहां कई स्थानों पर सी ए ए के समर्थन के पोस्टर लगाए, वहीं मुस्लिम समाज के लोगों ने विरोध में प्रदर्शन किया। मौजपुर में हालात इस कदर खराब हैं कि 50 मीटर की दूरी पर आमने-सामने नारेबाजी हो रही है और पुलिस के सामने तलवारें पिस्टले लहराई जा रही हैं। साथ ही पुलिस पर भी पथराव हुआ है। पुलिस बेबस नजर आ रही है । एक पेट्रोल पंप को  फूंका गया है एक पुलिस कर्मी की मौत हो गयी है । यह झगड़ा हिंसक रूप ले चुका है क्या देशभर में यह हिंसा की शुरुआत है ? दिल्ली में चुनाव बीत जाने के बाद भी आंदोलन उग्र रूप ले चुका है । आखिर लोगो को क्या बोलकर हिंसा करने के लिए लाया जा रहा है ? पुलिस मूक दर्शक क्यो बनी हुई है । शाहीनबाग से फ़ैली यह नफरत की हवा अपना असर दिखाने लगी है । कोई भी हिंसा का समर्थक नही हो सकता । नागरिकता संसोधन कानून जब भारतीय मुसलमानों के हितों को प्रभावित नही करता तो फिर क्यो इसका इतना उग्र विरोध करने की कोशिश की जा रही है । अमेरिका के राष्ट्रपति के आगमन के आने के दिन से एक दिन पहले शुरू हुए इन उग्र आंदोलनो के पीछे सोची समझी साजिश नजर आ रही है ? इस पक्ष पर भी नजर रखना चाहिए । कुछ विश्लेषकों को अमेरिका तक अपनी बात को पहुंचाने के लिए इस तरह के षड्यंत्रों को रचा गया है ऐसा प्रतीत हो रहा है । 



फोटो प्रतीकात्मक है ।


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लेखक मिलिन्द्र त्रिपाठी