★क्यो न आयोजकों को बच्चे की मौत का दोषी पाते हुए उन्हें फांसी की सजा दी जाए ?
आम रास्ते को अनिश्चित काल के लिए कैसे बंद किया जा सकता है ? आज इस प्रश्न के सार को समझने की देश भर में जरूरत है । यह प्रश्न मेरा नही है । यह प्रश्न है सुप्रीम कोर्ट का जिसके बाद देश भर में अलग-अलग शहरों में सी. ए. ए.(CAA) के विरोध में चल रहे धरने प्रदर्शन वालो को जोर का झटका धीरे से तो लगा है । अपने आपको संविधान रक्षक कहने वाले इन लोगो को आज सुप्रीम कोर्ट ने आईना दिखा दिया । संविधान का पाठ पढ़ाते हुए कोर्ट ने यह भी पूछा की धरने करने का अधिकार है लेकिन धरने से किसी को परेशानी नही होना चाहिए । अब शाहीनबाग हो या अलग-अलग शहर में बैठे शाहीनबाग के फोटोकॉपी जैसे धरने वालो आपके कारण परेशानी तो सभी को आ रही है । अभी तक जब आपके धरने से परेशानी पर सवाल उठाया जाता था तो आपको मिर्ची लगती थी । लेकिन अब तो कोर्ट ने आपसे पूछ लिया । क्या अब भी आप कहेंगे कि आप सही और बाकी दुनिया गलत । यह तो भारत है जहां आप धर्म के नाम पर लोगो को गुमराह करके धरना करने बैठा रहे हो । अन्य देश मे तो अल्पसंख्यक लोगो को जिंदा जला देने पर भी कोई आन्दोलन नही कर सकता । आपको जो आजादी भारत के संविधान और यहां की सरकार ने दी हुई है उसकी इज्जत कीजिये और जिन्ना वाली आजादी के नारों से बाज आइए जो लोग ऐसे नारे लगाए उन्हें आप लोग ही सबक सिखाओ देश को आपसे यही उम्मीद है । सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारी सड़कों को अवरुद्ध करके आम लोगों के लिए असुविधा पैदा नहीं कर सकते। उच्चतम न्यायालय ने शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटाने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर केंद्र, दिल्ली सरकार और पुलिस को नोटिस जारी किए हैं। मामले में अगली सुनवाई 17 फरवरी की होगा। चुकी मामला अदालत में लंबित है। इसके बावजूद कुछ लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। कोर्ट ने कहां उन्हें प्रदर्शन का अधिकार है लेकिन आप सड़कों को अवरूद्ध नहीं कर सकते। सार्वजनिक क्षेत्र में अनिश्चित समय तक प्रदर्शन नहीं हो सकते। अगर आप प्रदर्शन करना चाहते हैं तो यह प्रदर्शन के लिए निर्धारित स्थान पर होना चाहिए।'
शाहीन बाग में चल रहे धरने के दौरान चार माह के नवजात बच्चे की मौत पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए सोमवार को सुनवाई की। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि बच्चे की मौत के लिए सरकार जिम्मेदार कैसे है? कोर्ट ने वकील को फटकार भी लगाई। इसी पर मेने भी पूर्व लेख में भी सवाल उठाए थे । सोचने वाली बात है कि
एक चार माह के बच्चे को मार देना धरने के नाम पर कितना क्रूर अत्याचार है । आयोजकों को सोचना चाहिए यदि तुम धरने का आयोजन कर रहे हो तो कम से कम वहां बच्चो के लिए उनकी माताओं के लिए ठंड से बचने के उपाय तो करने थे । नही करने पर वहां होने वाली मौत की जिम्मेदारी भी आपकी ही होगी । क्यो न आयोजकों को बच्चे की मौत का दोषी पाते हुए उन्हें फांसी की सजा दी जाए