★झुग्गी में रहने वाले बेहद गरीब लोग जब दिन-रात शाहीनबाग धरने में बैठ रहे है,तो उनका घर खर्च कैसे चल रहा होगा ? पैसों की तंगी कैसे पूरी हो रही होगी ?
★महिला एवं बच्चों को विरोध में मोहरा क्यो बनाया जा रहा है ?
★गरीबों को धर्म के नाम पर भड़का कर ,रोजी-रोटी छोड़ ,कौन उन्हें विरोध की आग में धकेल रहा है ?
★केजरीवाल ने दावा किया था हर झुग्गी-बस्ती वालो को घर देंगे तो यह परिवार दिल्ली में झुग्गी में कैसे बचा ?
★झुग्गी-बस्ती में सोते समय हुई मौत को शाहीनबाग से कैसे जोड़ा गया ?
एक बच्चा जिसकी उम्र महज 4 माह अभी वो दुनिया मे आया ही था उसे कुछ पता नही था,लेकिन गरीब माँ बाप उसे पता नही क्यो रोज शाहीनबाग ले जाते थे ? ये छोटा बच्चा क्या जाने की सी. ए. ए.(CAA)क्या होता है । आखिर इसकी मौत का जिम्मेदार कौन है ? क्योंकि इसके माता पिता बेहद गरीब है वो कढ़ाई का काम करते है । सोचिए क्या इन्होंने कभी नागरिकता संसोधन कानून को पढा होगा ? इनके पास क्या कानून का ड्राफ्ट होगा ? जब इन्हें कानून की जानकारी नही है, तो विरोध किस बात का कर रहे है ? इसकी जांच होना चाहिए कि इतने गरीब लोगों के मन मे जहर कौन भर रहा है ? कल भी बच्चे की माँ का बयान गौर करने लायक है उनका कहना है में बच्चों के भविष्य के लिए लड़ रही हूँ । अब सोचने वाला विषय यह है कि भड़काने वालो ने गरीबो को उनके बच्चो के भविष्य के नाम पर भड़काया है । न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, नाजिया का कहना है कि देर रात तक प्रदर्शन में रहने की वजह से जहान को ठंड लग गई थी, उसे सर्दी हो गई थी, नाक और गले में भी दिक्कत थी, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि बच्चे की हालत इतनी खराब हो गई है कि उसकी जान चली जाएगी ।
जहां बच्चे के पैरेंट्स दावा कर रहे हैं कि ठंड लगने से बच्चे की मौत हुई है, वहीं डेथ सर्टिफिकेट में मौत का कोई निश्चित कारण नहीं बताया गया है ।
विरोध प्रदर्शन के नाम पर बच्चे की मौत से दुखी होकर वीरता पुरस्कार विजेता 10 साल की गुणरतन सदावतार ने सुप्रीम कोर्ट को एक खत लिखा है। गुणरतन ने देश के मुख्य न्यायाधीश को खत लिखते हुए विनती की है कि बच्चों और नवजातों को किसी धरने में जाने पर रोक लगे। सी .ए .ए. के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले कई हफ्तों से प्रदर्शन कर रहे। चार महीने के मासूम मो.जहान की बीते दिनों मौत हो गई थी। चार महीने के मोहम्मद जहां को उसकी मां रोज शाहीन बाग के प्रदर्शन में ले जाती थी । मोहम्मद जहां के माता-पिता नाजिया और आरिफ बाटला हाउस इलाके में प्लास्टिक और पुराने कपड़े से बनी छोटी सी झुग्गी में रहते हैं। उनके दो और बच्चे हैं- पांच साल की बेटी और एक साल का बेटा।' उत्तर प्रदेश के बरेली के रहने वाले दंपत्ति मुश्किल से अपना रोज़मर्रा का खर्च पूरा कर पाते हैं। आरिफ कढ़ाई का काम करते हैं और ई- रिक्शा भी चलाते हैं। उनकी पत्नी नाजिया कढ़ाई के काम में उनकी मदद करती हैं। आरिफ ने कहा, 'कढ़ाई के काम के अलावा, ई-रिक्शा चलाने के बावजूद मैं पिछले महीने पर्याप्त नहीं कमा सका। इस पर गौर कीजिए जो व्यक्ति बेहद गरीब है तो वो कैसे दिन रात शाहीनबाग में बैठ रहा होगा तब उसका घर खर्च कैसे चल रहा होगा ? पिछले चुनाव में केजरीवाल ने दावा किया था कि हम दिल्ली को झुग्गी झोपड़ी से मुक्त कर देंगे तो फिर यह परिवार झुग्गी झोपड़ी में कैसे बच गया ? क्या अरविंद केजरीवाल झूठ फैला रहे थे ? क्या उनके दावे झूठे है ।
शाहीनबाग प्रदर्शन के नाम पर बच्चो के वीडियो :-
छोटे-छोटे बच्चो के दिमाग मे देशविरोधी जहर घोलकर उन्हें मोहरा बनाकर उनके आजादी के नारे लगाते वीडियो वायरल हो रहे है । यह कौन सी आजादी की बात कर रहे है दिल्ली की सड़कों पर खुलेआम वीडियो बना रहे ,आंदोलन कर रहे है अब इससे ज्यादा आजादी क्या ये दी जाए कि यह तोड़फोड़ करें । पूरे देश मे अनेकों विरोध हुए लेकिन महिला और बच्चो को मोहरा बनाकर ऐसे घिनोने विरोध को जल्द से जल्द बन्द कर देना चाहिए ।
ट्वीट जो आज सबसे ज्यादा चर्चित है :-
आशीष पांडे नामक यूजर लिखते है ।
4 महीने का बच्चा मोहम्मद_जंहा शाहीनबाग में ठंड लगने से मर गया।
उसके मा-बाप, "आरिफ और नाजिया" का 500-1000 रुपये का लालच,
और वामपंथी मीडिया जो बच्चो को दिखाकर TRP बटोरता था,
और राष्ट्रविरोधी पार्टियों
ने मिलकर इस नसमझ बच्चे से उसकी जिंदगी छीन ली।