राजस्थान में गरीब भाईयों को सिर्फ 100 रुपये की चोरी के शक में पीटा और उनके प्राइवेट पार्ट में पेट्रोल एवं पेचकस डाला :-


चोरी के आरोप में दो दलित समाज  से आने वाले भाइयों को बर्बर तरीके से पीटने और गुप्तांग में पेट्रोल डालने का वीडियो सामने आया है। मामला 16 फरवरी का राजस्थान के नागौर जिले के पांचौड़ी इलाके का है। वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने
पीड़ितों से संपर्क किया एवं घटना की जानकारी लेकर आरोपियों पर कार्यवाही शुरू कर दी है अभी तक 5 आरोपी को पकड़ा है 2 फरार है । 
देश मे आज भी यदि चोरी करता कोई गरीब पकड़ा जाए या चोरी के शक में पकड़ा जाए तो उसे बुरी तरह मारा जाता है । चोर विजय माल्या जैसा हो तो उस तक मारने वाले पहुंच ही नही पाते । जैसे एक जेब कतरा पकड़ा जाए तो भीड़ उसे जी जान से मारती है, जिसने कभी एक मच्छर नही मारा वो भी इन गरीबो को मारने लगते है । किसी ने गलत किया है, उसे पकड़ लिया है, तो उसे कानून के हवाले किया जाए । हमे स्वयं कानून हाथ मे नही लेना चाहिए यही सभ्य समाज की परिभाषा है, लेकिन चोरी के शक में किसी की जान लेना या किसी को ऐसी प्रताड़ना देना जिससे कि जीवन भर के लिए वो व्यक्ति परेशान हो यह सभ्य समाज को कतई शोभा नही देता है । गुस्से में भीड़ द्वारा थोड़ा बहुत बल प्रयोग करना यह समझ मे आता है, लेकिन किसी के प्राइवेट पार्ट में पेट्रोल डाल देना ,स्क्रूड्राइवर डाल देना कहाँ तक शोभा देता है । 
पीड़ित ने पुलिस को दी शिकायत में घटना के बारे में बताया कि 16 फरवरी 2020 को भाई के साथ बाइक की सर्विस करवाने के लिए करणु गांव में बाइक एजेंसी पर गया था। वहां मैनेजर समेत कई अन्य युवकों ने उस पर काउंटर से चोरी करने का झूठा आरोप लगाया। जब उसने मना किया तो वह युवक उसे एजेंसी के पीछे सुनसान जगह जबरदस्ती ले गए। वहां बेल्ट और लात-घूसों से उसकी बुरी तरह से पिटाई की। इसके बाद आरोपियों ने पेचकस पर पेट्रोल से भरा कपड़ा लपेट उसके गुप्तांग (प्राइवेट पार्ट )में डाला। इससे उसे गहरी चोट आई। आरोपियों ने भाई के साथ भी बुरी तरह मारपीट की हम रहम की भीख मांगते रहें किसी ने हम पर रहम नही किया । सोचने वाली बात है कि यह घटना सिर्फ और सिर्फ 100 रुपये की चोरी के आरोप में अंजाम दी गयी है । तो क्या 100 रुपये मात्र की चोरी पर किसी के साथ ऐसी बर्बरता की जाए यह कहाँ तक उचित है । सिर्फ 100 रुपये के लिए क्या आप किसी की जान ले लोगे ? थोड़े दिन पहले की एक घटना भी याद आती है जब रोटी चुराने के आरोप में एक मासूम भूखे बच्चे को बुरी तरह मारा गया था । इतनी निर्दयता कैसे इंशानो के अंदर आ रही है वो भी भारत जैसे देश के नागरिकों में दुनिया को हम क्या सन्देश दे रहे है ? आज भी देश मे अरबो रुपये के घोटाले करने वाले आरोपी नेताओं के लोग स्वागत करते है । उन्हें मालाएं पहनाते है । 100 रुपये के लिए जानलेवा हमला कर दो और नेताओं के आगे नतमस्तक हो जाओ यह कैसा न्याय हुआ ? स्विस बैंकों में आपके चोरी किये रुपये अरबो रुपये नेताओं ने छुपा रखे है, तब क्यो बोलती बंद हो जाती है ? यहां तो चोरी भी नही की गयी थी केवल चोरी के शक में इतनी बुरी तरह मारा गया । पूरी घटना से एक बात स्पष्ट है कि मारने वालो का बर्ताव इन्शान की तरह न होकर जानवरो की तरह था । पीड़ित पक्ष का डर भी समझिए डरे सहमे ये लोग स्वयं थाने तक नही गए शिकायत करने । सोचिए यह कितने डरे सहमे होंगे । वैसे गरीबो को मारना और उन्हें डराना आम बात है । समाज का यह तबका न तो न्याय के लिए लड़ सकता है, न ही शिकायत कर सकता है, उसके पास वकील तक करने के पैसे नही । वो सोचता है कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाएंगे तो दाड़की मजदूरी करके पैसे कौन कमा कर लाएगा और जब पैसे ही न होंगे तो भोजन क्या करेंगे, क्योंकि इनका काम होता है रोज कुआं खोदकर पानी पीना । भारत में इन्हें भी बराबर का दर्जा कागजो में प्राप्त है, हकीकत में अभी भी अत्याचार सबसे ज्यादा इन्ही पर होता है । यह पीढ़ी दर पीढ़ी शिक्षा से वंचित है, इन्हें इनके अधिकारों के बारे में कोई जानकारी देने वाला नही । पैसे वाले लोग इन्हें अपना गुलाम एवं जानवर से भी गया गुजरा समझते है । वक्त आ गया है ऐसी सोच को बदलने का । तभी तो हमारा भारत विकसित राष्ट्र बन पाएगा । 


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