पेट चीरकर आंते निकाली, आईबी अफसर के शरीर पर 400 से ज्यादा चाकू मारने से हुई उसकी मौत  ,क्या ताहिर हुसैन को होगी फांसी ? 


★मौत के बाद भी चाकू मारते रहें दंगाई ।
★ सबसे बड़ा सवाल क्या ताहिर हुसैन को होगी फांसी ? 



एक इंसान का शरीर कल्पना कीजिये उस पर 400 बार बड़े चाकुओं से वार किये गए हो मतलब की शरीर का कोई हिस्सा नही बचा जहां चाकू न मारा हो । इतनी भयानक मौत देने वाले पाकिस्तान से नही आये थे यह वो लोग है जो सी ए ए  का विरोध कर रहे थे । एक वो शाहरुख तो आपको याद होगा जो खुले आम गोली चला रहा था । फिर यह ताहिर हुसैन जिसके पूरे घर से पेट्रोल बम का जखीरा संचालित हो रहा था । यह दिल्ली मजदूरी करने आया था,आज 20 करोड़ की संपत्ति का मालिक है चंद साल में आखिर इसके जैसे अनपढ़ व्यक्ति ने ऐसा क्या कारोबार किया कि चंद साल में यह करोड़पति हो गया । यह अरविंद केजरीवाल का खास आदमी है इसके काम से आम आदमी पार्टी को अलग नही किया जा सकता । आम आदमी पार्टी में ऐसे लोगो की भर्ती क्यो की गई है ? क्या पार्टी किसी भी आतंकवादी की अपना सदस्य बना लेती है ? निलंबित करके ओर बड़ी-बड़ी बातें करके आप बच नही सकते । दिल्ली को जलाने के पीछे आम आदमी पार्टी का ही नाम प्रमुखता से सामने आ रहा है, क्योंकि इनका प्रमुख नेता के घर से दंगे का बहुत बड़ा जखीरा बारूद मिला है । इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) में तैनात अंकित शर्मा की उपद्रवियों ने बेरहमी से हत्या की थी। उनके शरीर पर चाकू के अनगिनत निशान मिले हैं। बृहस्पतिवार को पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक, अंकित के शरीर का कोई भी हिस्सा नहीं बचा, जहां चाकू नहीं मारा गया हो। 
आज वक्त है कि पूरे देश मे इस ताहिर हुसैन की फांसी की मांग की जाए ।
इन सी ए ए विरोधियों ने अंकित की आंते तक निकाल ली थी । हत्या करने के बाद शव को नाले में फेंक दिया गया था । पोस्टमार्टम करने वालो की रूह तक कांप गयी उनका कहना है उन्होंने इसके पहले किसी की ऐसी हत्या न देखी न सुनी । एक वरिष्ठ चिकित्सक ने मीडिया को बातचीत में बताया कि जो लाशें आई है उनमें से किसी के शरीर पर आठ से नौ तलवार के वार हैं तो किसी का आधा शरीर जला हुआ है। ये वाकई शर्मिंदगी और रोंगटे खड़े कर देने वाला मंजर है। उन्होंने बताया कि वे जीटीबी अस्पताल में 25 वर्षों से सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन उन्होंने ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं देखी। बाकी डॉक्टरों ने भी इंशानियत पर सवाल खड़े किए उनका कहना है, यह काम कोई जानवर ही कर सकता है । यहां गौर करने वाली बात है कि शवो को जलाने की भी कोशिश की गई है । दिल्ली देश की राजधानी है वहां की युवा पीढ़ी दंगो से अनजान थी उन्हें दंगा शब्द सुनकर लगता था कि यह आदि मानव समय की कोई बात है । आज का दौर दंगो से कोसो दूर है, अब पढ़े लिखे लोग है, वो दंगो में शामिल नही होंगे । लेकिन महंगे मोबाइल रखने वालों के घरों में एक डंडा तक नही मिला और दंगे वाले लोगो ने बड़ी आसानी से उन्हें मारा और इतना मारा की उनकी हत्या तक पिट-पिट कर  दी । दिल्ली में तीन दिन लगातार हुई हिंसा में अब तक 42 लोगों की मौत हो चुकी है जिसमें दिल्ली पुलिस का हेड कांस्टेबल रतन लाल शहीद हो गए। हिंसा के दौरान सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) अनुज कुमार भी घायल हुए थे और उन्होंने बताया कि कैसे भीड़ ने उन्हें घेर लिया था। 22000 से 25000 की भीड़ के सामने केवल 200 पुलिस वाले थे । बड़ा सवाल उठता है, कि 25000 की भीड़ यदि दंगा करने निकली हो तो पुलिस की संख्या कोई मायने नही रखती । पुलिस केवल दंगे वालो को रोक सकती है, यदि दंगे करने वाले पुलिस को मारने लगे तो पुलिस को भी जान के लाले पड़ जाते है, ऐसे में गोली चलाने के आदेश की प्रतीक्षा रहती है । जो 2 दिन बाद जारी हुआ कि दंगाइयों को देखते ही गोली मार दी जाए यदि यह आदेश पहले जारी हो जाता तो अनेको जाने बच जाती । 



लेखक मिलिन्द्र त्रिपाठी