★आमजन कहने लगे है बलात्कारी कर रहे है कानून का बलात्कार।
★कानूनी विकल्प से ही बना रहे कानून का मजाक।
★जानवरो से जो बदत्तर हो उनके कैसे मानवाधिकार।
★दरिंदो के पास फांसी टालने के ओर भी विकल्प मौजूद है।
निर्भया की माँ ने आरोप लगाया था, कि केजरीवाल फांसी टालने में आरोपियों की मदद कर रहे है । केंद्र से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की थी, केंद्र ने इस मांग पर अमल करते हुए पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा निर्भया के दोषियों की फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगाने के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट में रविवार के दिन भी इस मामले पर विशेष सुनवाई हुई। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दोषी पवन जानबूझकर दया याचिका दाखिल नहीं कर रहा है। यह सब कानूनी आदेश को कुंठित करने का सोचा-समझा मंसूबा है। हाईकोर्ट ने शनिवार को इस मामले में चारों दोषियों के साथ ही तिहाड़ जेल प्रशासन और डीजी जेल को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था। महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को निर्भया मामले के दोषी विनय शर्मा की दया याचिका खारिज कर दी है, चारों दोषियों में से यह दूसरी दया याचिका है, जो राष्ट्रपति के पास लगाई गई थी, इससे पहले मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति खारिज कर चुके हैं, विनय ने राष्ट्रपति को दी गई अपनी अर्जी में कहा था कि जेल में रहने के दौरान उसका मानसिक उत्पीड़न हुआ है,विनय ने राष्ट्रपति से गुजारिश की थी कि वो जो भी समय उचित हो बता दें, ताकि उसके वकील एपी सिंह उसका पक्ष मौखिक तौर पर राष्ट्रपति के समक्ष रख सकें ।
आमजन कहने लगे है बलात्कारी कर रहे है कानून का बलात्कार:- इस केस के घृणित आरोपी कितने षड्यंत्र कर रहे है यह देश के नागरिकों से छुपा नही है । एक के बाद एक प्लान बनाकर फांसी को टालने के षड्यंत्र रचे जा रहे है । आरोपी के वकील ने निर्भया की मां को खुला चेलेंज दिया है कि तुम फांसी करवा कर दिखा दो में इन्हें उम्र भर फांसी नही होने दूंगा । कानून के साथ हो रहे बलात्कार पर माँ का रो-रोकर बुरा हाल है न्याय में देरी अन्याय है और इतनी अधिक देरी तो अन्याय से भी कई पुलिस भी इन दरिंदो का घटना वाले दिन ही इनकाउंटर कर देती तो कितना अच्छा होता । तुषार मेहता ने आज कहाँ की- दोषी पवन जानबूझकर दया याचिका या क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल नहीं कर रहा है। यह सुनियोजित अकर्मण्यता है। अगर ट्रायल कोर्ट का आदेश बरकरार रहता है, तब पवन भी क्यूरेटिव और दया याचिका दाखिल कर सकता है। ऐसे में दूसरों को भी फांसी नहीं होगी। यह जानबूझकर कानूनी आदेश को कुंठित करने का सोच-समझा मंसूबा है।
कानूनी विकल्प से ही बना रहे कानून का मजाक:-बलात्कार पर काठोर कानून बनाने की बात करने वाली सरकारे कानून का बलात्कार होते देख रही है । कैसे आरोपी देश की जनता के सामने कानून को मुहं चिड़ा रहे है । जिसे देखकर देश भर में गुस्सा है । षड्यंत्र करने वालो ने झूठे आरोप जेल प्रशासन पर ही लगाने शुरू कर दिए है । निर्भया गैंगरेप मामले में दोषी मुकेश की वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि उनके मुवक्किल का तिहाड़ जेल में यौन उत्पीड़न हुआ है, मुकेश ने राष्ट्रपति द्वारा उसकी दया याचिका खारिज किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है।
जानवरो से जो बदत्तर हो उनके कैसे मानवाधिकार :- आज से( 7 )साल पहले इन दरिंदो ने एक बेटी के साथ जो किया उसके बाद तो इनका एक दिन जिंदा रहना भी न्याय का मजाक उड़ाने जैसा था लेकिन( 7 ) साल इनका जीना ओर उसके बाद फांसी रोकने के षड्यंत्र करना और कुछ लोगो का यह कहना कि उनके भी मानव अधिकार है । जो जानवरो से भी ज्यादा गए गुजरे है उनके कैसे मानव अधिकार जो मानव ही नही तो उनके मानव अधिकार कैसे हुए ?
दरिंदो के पास फांसी टालने के और भी विकल्प मौजूद है :-
★बलात्कारी मुकेश सिंह और बलात्कारी विनय शर्मा के दोनों विकल्प (क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका) खत्म हो चुके हैं।★बलात्कारी अक्षय ठाकुर की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज हो चुकी है। उसकी दया याचिका राष्ट्रपति के पास विचाराधीन।
★बलात्कारी पवन गुप्ता ने न तो क्यूरेटिव पिटीशन दायर की है और न ही राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी है। इसके सारे विकल्प अभी उपलब्ध है । इसी से फांसी और टलने की संभावना प्रबल है ।