आजकल हर किसी के पास स्मार्ट मोबाइल फोन उपलब्ध है । एक से बढ़कर एक डिजाइन में एक से बढ़कर एक फीचर के साथ ।शानदार कैमरे , ज्यादा स्टोरेज ,सोशल मीडिया ने हर साल नया आधुनिक मोबाइल लेने की आदत हर किसी मे शुमार होती जा रही है । यदि कोई गिफ्ट में आपको मोबाइल दे दे तो यह बेशकीमती गिफ्ट में गिना जाने लगा है । एक मोबाइल से मन भी नही भरता तो लोगो ने दो मोबाइल 3 मोबाइल तक ले रखें है । उसमें भी बैटरी न कम पड़ जाए तो अलग से बैटरी बैकअप साथ लेकर चलना आम बात है । एक कमरे में 10 लोग एक ही परिवार के होंगे तब भी उनमें आपसी वार्तालाप नही होगा वो सब अपने - अपने मोबाइल में तल्लीन नजर आते है । आखिर हो भी क्यो न बहुत काम की चीज है मोबाइल इस एक मोबाइल में टीवी है ,रेडियो है ,घड़ी है ,अलार्म है ,कैमरा है ,वीडियो है ,एलबम है ,इंटरनेट है ,सोशल मीडिया है जो चाहो सब है लेकिन उपयोग एक सीमा तक हो तो उसे उपयोगी कहाँ जाएगा सीमा से अधिक उपयोग करना लत या नशा कहाँ जाएगा । दुनियाभर में हुए कई शोध से पता चलता है कि यदि कोई लगातार स्मार्टफोन का इस्तेमाल करता है, वह 'नोमोफोबिया' बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं। इस बीमारी के पीड़ितों की संख्या बढ़ती जा रही है। आगे और अधिक बढ़ने की प्रबल संभावना है । क्योंकि आज व्यक्ति अपने परिवार के बिना रह सकता है लेकिन मोबाइल के बिना वो बिन पानी मछली के समान हो जाता है । दिनभर मोबाइल चलाने से कई रिश्तों के टूटने की खबर भी आये दिन नजर आती है । मोबाइल की लत से बच्चे भी अछूते नही हैं । छोटे - छोटे बच्चे आजकल मोबाइल में खोए हुए रहते है । 4 साल के बच्चे आसानी से यूट्यूब चला लेते है वो बोलकर अपने पसन्द के कार्टून सर्च कर लेते है, और घण्टो खोए रहते है, अभिभावकों को लगता है कम से कम शान्त तो है, मस्ती तो नही कर रहा और वो भी चैन से अपना मोबाइल चलाने लगते है ।
अभिभावकों को शायद यह अंदाजा ही नहीं है कि मोबाइल फोन की लत उनके बच्चों के लिए भयंकर शारीरिक तकलीफें ला सकता है। दुनियाभर में हुए एक सर्वे में 84 फीसदी स्मार्टफोन उपभोक्ताओं ने स्वीकार किया कि वे एक दिन भी अपने फोन के बिना नहीं रह सकते हैं। स्मार्टफोन की इस लत यानि नोमोफोबिया हमारे शरीर के साथ-साथ हमारे दिमागी सेहत को भी प्रभावित करता है। अब अकेला में बोलूंगा तो आप मानोगे नही तो सोचा कि अमेरिका वालो की कही बात आप मान लोगे अमेरिका की विजन काउंसिल के सर्वे में पाया गया कि 70 फीसदी लोग मोबाइल स्क्रीन को देखते समय आंखें सिकोड़ते हैं। यह लक्षण आगे चलकर कंप्यूटर विजन सिंड्रोम बीमारी में तब्दील हो सकता है। जिसमें पीड़ित को आंखें सूखने और धुंधला दिखने की समस्या हो जाती है। युनाइटेड कायरोप्रेक्टिक एसोसिएशन के मुताबिक लगातार फोन का उपयोग करने पर कंधे और गर्दन झुके रहते हैं। झुके गर्दन की वजह से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होने लगती है। मोबाइल स्क्रीन पर नजरें गड़ाए रखनेवाले लोगों को गर्दन के दर्द की शिकायत आम हो चली है। दिनभर झुकी गर्दन से मोबाइल चलाने से सर भी दुखने लगता है ओर गर्दन भी इसे 'टेक्स्ट नेक' का नाम दे दिया गया है। यह समस्या लगातार टेक्स्ट मैसेज भेजने वालों और वेब ब्राउजिंग करने वालों में ज्यादा पाई जाती है । यदि आप इतने से भी नही मान रहे तो आपकीं किडनी भी फेल हो सकती है । 75 फीसदी लोग अपने सेलफोन को बाथरूम में ले जाते हैं, जिससे हर 6 में से 1 फोन पर ई-कोलाई बैक्टीरिया के पाए जाने की आशंका बढ़ जाती है। इस बैक्टीरिया की वजह से डायरिया और किडनी फेल होने की आशंका होती है। 2 घंटे तक चेहरे पर लगातार मोबाइल की रौशनी पड़ने से 22 फीसदी तक मेलाटोनिन कम हो जाता है। इससे नींद आने में मुश्किल होती है। यानी ज्यादा देर तक मोबाइल देखने से नींद नहीं आने की समस्या हो सकती है। लोग दिनभर फेस पर मोबाइल की रोशनी डालकर रखते है 8 से 9 घण्टे मोबाइल चलना सामान्य बात है । सोचिये तब कितना गहरा दुष्प्रभाव पड़ता होगा । सर्वे में 12 फीसदी लोगों ने कहा कि स्मार्टफोन का ज्यादा उपयोग करने से उनके निजी संबंधों पर सीधा असर पड़ा है। पर यह 12 % लोग ईमानदारी से बोलने वाले थे असर तो 60% रिश्तों पर पड़ रहा है ।
मोबाइल की लत के लक्षण :-
1.देर रात तक अपने फ़ोन में लगे रहना और बहुत देर में सोना।
2.फ़ोन घंटो वीडियो देखते रहना।3.अपने जरूरी कामों को छोड़ कर फोन चलाना और जरूरी काम को बाद में करना।
4.घंटो तक फेसबुक, WhatsApp और Instagram चलाना।
5.हमेशा फ़ोन में चैटिंग करते रहना।
6.फ़ोन में घंटो गेम खेलना। बहुत से लोगो का मानना है कि जब से भारत में pubg आया है। उसके बाद लोग और भी ज्यादा फ़ोन के एडिक्ट हो गए है।
7.घंटो-घंटो Tiktok में वीडियो देखना और बनाना।
8.फोन मे बिना किसी जरूरी काम होने के बावजूद भी अपने फ़ोन में लगे रहना।
9.बार- बार अपने फ़ोन को चेक करना।
कैसे पाएं छुटकारा :-
★स्मार्टफोन की सेटिंग्स में जाकर नोटिफिकेशन बंद कर दें। इससे बार-बार आपका ध्यान फोन की नोटिफिकेशन बीप बजने पर नहीं जाएगा।
★दिन के कुछ घंटे आप अपना डाटा ऑफ़ रखें यानी कि इंटरनेट बंद रखें।
★अपने फोन को चेक करने का समय निश्चित करें, उसी दौरान आप सभी अपडेट्स देख लें ।
★परिवार को समय दें ।
★रुचि के कार्यो में स्वयं को व्यस्त रखें ।
लेखक - मिलिन्द्र त्रिपाठी