★Uvideo नामक एप्लिकेशन ने की
हद पार
★यूट्यूब पर सरकार का नियंत्रण नही ।
★आपत्ति जनक विज्ञापनों के लिंक अंत मे दिए गए है
हर व्यक्ति आज के दौर में यूट्यूब चलाना जानता है । यूट्यूब पर किसी भी वीडियो के बीच मे विज्ञापन आना एक सामान्य सी बात मानी जाती रही है । इससे किसी को कभी कोई आपत्ति नही रही है । यूट्यूब का प्रसार बहुत अधिक लोगो तक है । करोड़ो लोग वीडियो देखने के इस एप्लिकेशन का उपयोग सालों से करते आये है ।कुछ समय पूर्व के आंकड़ों के अनुसार केवल भारत में यूट्यूब उपयोगकर्ताओं की संख्या 80 करोड़ के करीब है। इस संख्या में औसतन 24.5 करोड़ की दर से वृद्धि हो रही है। यूट्यूब भी सबकी पसन्द को ध्यान में रखते हुए विज्ञापन पर भी कड़े नियमो का पालन करता था लेकिन आजकल पैसों के अधिक लालच में वीडियो में शुरुआत में अश्लील विज्ञापन का चलन बढ़ गया है । हाल ही में गालियों से भरा एक विज्ञापन जिसे 1 मिनट से अधिक देखने के बाद ही वीडियो दिखाया जाएगा । इसमें एक बॉय फ्रेंड को गर्ल फ्रेंड के साथ फोन पर दी गयी गालियों को लेकर झगड़ा दिखाया गया जिसमें पूरी तरह से बेहद शर्मनाक गालियों का उपयोग किया गया है । वही एक विज्ञापन में वेश्यावृत्ति के विज्ञापन दिखाया जा रहा है जिसमे वेश्या से पैसों को लेकर चर्चा की जा रही है । चुकी छोटे छोटे बच्चे भी कार्टून देखने के लिए यूट्यूब देखते है माता पिता बच्चो के रोने पर उन्हें कार्टून लगाकर दे देते है ऐसे में ऐसे विज्ञापन बीच मे आ जाते है । चुकी माता पिता बेफिक्री के चलते देख ही नही रहे है कि इतनी गन्दी सामग्री छोटे छोटे बच्चो को दिखाई जा रही है । सर्च करके अश्लील सामग्री दिखाने से कई गुना घातक है विज्ञापन में अश्लील सामग्री दिखाना । इस एप्लिकेशन के माध्यम से परोसे जा रहे अश्लील विज्ञापन के खिलाफ कोई सेंसरशिप लागू नही है । विशेषज्ञों के अनुसार यूट्यूब विज्ञापनों से मिलने वाली आय से एक निश्चित राशि यूट्यूबर्स को देता है। ये विज्ञापन सर्वाधिक प्रचलित यूट्यूब वीडियो के बीच बिना किसी रोकटोक के दिखाए जाते हैं। इन विज्ञापनों के बीच अश्लील विज्ञापनों का धड़ल्ले से प्रसारित होना चिंता का विषय बन गया है।टीवी सिनेमा से कई गुना ज्यादा लोग अब स्मार्ट फोन यूजर है ऐसे में एप्लिकेशन के माध्यम से परोसे जाने वाली अश्लीलता के खिलाफ सरकार को सख्त कदम उठाना चाहिए । कुछ मोबाइल में तो कोई भी लिंक पर क्लिक करने पर पूरी तरह से अश्लील वीडियो अचानक आने लगते है ।
हमारे देश के अंदर बॉलीवुड में किसी भी फिल्म को बड़े पर्दे पर आने से पहले उसे सेंसर बोर्ड की तरफ से हरी झंडी की ज़रुरत होती है, सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेट लेना आवश्यक होता है ।लेकिन कई ऐसी फ़िल्में हैं जो भारत में सेंसर बोर्ड द्वारा बैन की गई थी ।लेकिन यूट्यूब द्वारा इन फिल्मों को आसानी से परोसा जा रहा है । सेंसर बोर्ड का नियम है कि सभी फिल्मों को उसके चरित्र के आधार पर उनकी बारीकी से जांच करता है। जो उनके मापदंड में फिट नहीं बैठती वो उसे बैन कर देते हैं। लेकिन यूट्यूब इन्ही फिल्मों को दिखाकर बहुत आमदनी कमा रहा है । तो क्या मान लिया जाए कि यूट्यूब पर सरकार का कोई नियंत्रण नही है । मेरे पास ऐसी फिल्मों की सूची है परंतु में जानता हूँ यदि मेने सूची प्रकाशित की तो कई अनजान लोग भी उन मूवी को जिज्ञासावस देखेंगे । बहुत से बच्चे प्रतियोगि परीक्षा की तैयारी ,शिक्षा संबंधी सामग्री अथवा स्वस्थ्य मनोरंजन हेतु यूट्यूब देख रहे होते है। ऐसे में अचानक अश्लील विज्ञापन आ जाना उपयोगकर्ता को शर्मसार कर देता है। कई बार तो उपयोगकर्ता तेज स्पीकर में कनेक्ट करके वीडियो देखता है तब स्थिति और अधिक शर्मिंदगी वाली होती है ।अपने आर्थिक लालच में विज्ञापन कंपनियां विज्ञापन को आकर्षक बनाने की होड़ में उनमें उत्तेजक और अश्लील दृश्यों या द्विअर्थी संवादों का भरपूर प्रयोग कर रही हैं। किशोरवय यूट्यूब उपयोगकर्ताओं के कोमल मन पर ऐसे अश्लील विज्ञापन का नकारात्मक असर पड़ रहा है। जो शिक्षा के वीडियो देख रहा था अचानक यदि उस बच्चे के सामने अश्लीलता परोस दी जाए तो उस बच्चे की दिशा कुछ ही पलों में बदल जाएगी । सरकार से कोई उम्मीद नही कर सकते कि इस दिशा में जब तक कोई बड़ा विरोध नही होगा। तबतक सरकार एक्शन लेगी नही ,लेकिन किसी न किसी को तो विरोध की शुरुआत करनी ही पड़ेगी अन्यथा इसके घातक दुष्परिणाम होंगे ।
जिस विज्ञापन में बेहद गंदे अपशब्दों का प्रयोग किया गया है उस विज्ञापन का लिंक :- https://youtu.be/1Jh6RVXwRpc
इसी प्रकार का दूसरा विज्ञापन का लिंक :- https://youtu.be/qK-hH_EPS_Y
डबल मीनिंग विज्ञापन का लिंक :-
https://youtu.be/ovt1sgAO4O4