पत्रकारों पर जानलेवा हमला करना किस संविधान में लिखा है ?


पुरे देश मे पत्रकार प्रोटेक्शन एक्ट लागू हो । 
  पत्रकार पर हुए हमले पर मीडिया जगत को एकता दिखाकर देशभर में इसका विरोध करना चाहिए । 
   शाहीनबाग के गुंडों ने पत्रकार और कैमरा मेन को पिट दिया क्यो पिट दिया इसका जवाब किसी के पास नही । नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में करीब एक महीने से ज्यादा समय से सड़क को जाम कर किए जा रहे प्रदर्शन की रिपोर्टिंग करने पहुंचे एक चैनल के वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया और उनके कैमरामैन पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया। इतना ही नहीं हमलावरों ने कैमरा छीनकर उसे भी तोड़ दिया। जख्मीहालत में दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जिसमें कैमरामैन की हालत गंभीर है। शाहीन बाग को बंधक बनाने वालों ने अति कर दी लाखो की आबादी इनसे परेशान थी । इनके रोड जाम करने से बच्चे स्कूल नही जा पा रहे ,एंबुलेंस नही निकल पा रही ,नौकरी पर जाने वाले घर बैठ गए । आंदोलन के नाम पर दिल्ली के एक हिस्से को हाईजैक करने की परमिशन किसने दी इन्हें ।सी. ए. ए.( CAA) पर जब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया तो उस फैसले का सम्मान करो । करोड़ो लोगो ने जिस सरकार को वोट देकर चुना है उसका सम्मान करो । संसद के दोनों सदन में पास हुआ है तब कानून बना है तुम चंद विरोधी लोग सवालों से इतना घबरा गए कि तुमने एक सभ्य प्रतिष्ठित पत्रकार पर जानलेवा हमला कर दिया । सी. ए. ए.(CAA) के मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार  दीपक चौरसिया पर रिपोर्टिंग के दौरान शाहीन बाग में जिस तरह से गुंडों ने  हमला किया । इससे साफ है कि जो लोग शाहीनबाग ओर जामिया के माध्यम से देश में अशांति फैला रहे हैं उनके पास वैचारिक शक्ति नाम का कोई शब्द ही नहीं है । देश मे जिस तरह वकील एवं डॉक्टरों के प्रोटेक्शन एक्ट लागू है उसी तरह चौथे स्तम्भ के लिए भी प्रोटेक्शन एक्ट लागू होने की जरूरत है । कुछ अपराधी तत्व जब उनके आकाओं के खिलाफ या उनकी घृणित मानसिकता के खिलाफ लिखो तो वो पत्रकारों को निशाना बनाते है । कलम को रोकने के लिए धमकी देते है । देश मे बड़े पैमाने पर हर उस पत्रकार के साथ ऐसा हो रहा है जो निष्पक्ष है । पत्रकारों पर हमला करना या उन्हें धमकी देने ,अपशब्द कहने पर अपराधी व्यक्ति को कमसे कम 2 वर्ष के कठोर कारावास की सजा का प्रावधान होना चाहिए । दीपक  पर हुए हमले के वीडियो को ध्यान से देखा वो उस वक्त ऐसा कुछ नही कह रहे थे जिसके कारण उनकी आवाज को दबाया जाता । एक घोर आश्चर्य यह भी हुआ कि पत्रकार पर हमले पर देश भर के मीडिया जगत को एक हो जाना था लेकिन ऐसा नही हो पाया ।कई समाचार पत्र और टीवी चैनल ने इस मुद्दे को प्रमुखता से प्रकाशित नही किया जो मीडिया की शक्ति को कमजोर आंकते है उन्हें पता है कि मीडिया के लोग कभी एक नही हो सकते । यह अलग अलग ग्रुप में बंटे है इस लिए इन पर हमला करना आसान प्रतीत होता है । एकता में ही शक्ति है जितनी जल्दी इस वाक्य पर अमल किया जाएगा उतना बेहतर होगा । हमले के तुरंत बाद दीपक चौरसिया  ने ट्विटर पर ट्वीट किया और कहा कि "सुन रहे हैं कि संविधान ख़तरे में है, सुन रहे हैं कि लड़ाई प्रजातंत्र को बचाने की है! जब मैं शाहीन बाग की उसी आवाज़ को देश को दिखाने पहुँचा तो वहाँ मॉब लिंचिंग से कम कुछ नहीं मिला!"
अपने ट्विटर हैंडल पर चौरसिया ने एक मिनट का वीडियो अपलोड किया है, जिसमें वह प्रदर्शनकारियों से घिरे हुए नजर आए और उनमें से कुछ ने उनके साथ धक्कामुक्की की।पहले कैमरे के आगे हाथ लगाकर रिकार्डिंग रोकने का प्रयास किया । उन लोगों ने दीपक चौरसिया को वहां से धक्का देकर हटाने का प्रयास किया और उनका माइक भी छीन लिया। वीडियो के अन्य हिस्से में कुछ लोगों को कैमरामैन से कैमरा छीनने का प्रयास करते हुए साफ देखा गया। बाद में रिकॉर्डिग बन्द हो गयी संभवत तब तक कैमरा तोड़ दिया गया था ।  
  शांतिपूर्ण ढोंगी आंदोलन की आड़ में मीडियाकर्मियों पर जानलेवा हमला :- 
   अपने ही देश मे जिन्ना वाली आजादी मांगने वाले इन शांतिदूतों ने पहले भी मीडिया कर्मियों पर हमले किये है। इससे पहले भी जेएनयू, और जामिया में नागरिकता कानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों में मीडियाकर्मियों के साथ बदसलूकी की खबरें सामने आती रही है । जामिया में प्रदर्शन के दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने एबीपी न्यूज की महिला रिपोर्टर के साथ बदसलूकी की थी । ऐसी ही ओछी हरकते जी न्यूज के संवादाताओं के साथ लगातार होती रही है एक बार कुछ मुस्लिम महिलाओं से सवाल पूछने पर पत्रकार को धकेलकर वहां से हटाया गया था । तो  यह शान्तिदूत क्यो चाहते है कि कोई इनसे सवाल न पूछे ?
  भ्रम आखिर है क्या ओर कौन पैदा कर रहा है :- जब गृह मंत्री खुले तौर पर कह चुके है कि इस कानून को नागरिकता छीनने के लिए नही नागरिकता देने के लिए लाया गया है । उनकी स्पष्ठ बात के बाद भी कुछ अराजक तत्व देश मे जहर घोलने का काम कर रहे है । ऐसे तत्वों पर सख्त से सख्त कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए । 
   पुलिस में शिकायत अब सख्त कार्यवाही की आस :-
    पत्रकार दीपक चौरसिया का आरोप है कि जब उन्होंने रिपोर्टिंग शुरू की तो कुछ लोग उनके पास आए और बदसलूकी करने लगे। इसके बाद जब कैमरामैन ने घटना को रिकॉर्ड करना शुरू किया तो उन लोगों ने कैमरामैन पर भी हमला कर दिया और कैमरा छीनकर तोड़ दिया। आरोप है कि भीड़ ने उन लोगों की पिटाई भी की। दीपक चौरसिया ने अपने ऊपर हमले की पुलिस में शिकायत की थी। इस पर दक्षिण-पूर्व के डीएसपी चिन्मय बिश्वाल ने भी कहा था कि वरिष्ठ पत्रकार की तरफ से उनको शिकायत मिली है। शनिवार को पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर लिया है। दीपक चौरसिया से मारपीट और कैमरे छीनने के मामले में कुछ अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। पुलिस का कहना है कि आईपीसी की धारा 394 (लूट के दौरान चोट पहुंचाने) के तहत FIR दर्ज की गई है। फिलहाल मामले की जांच चल रही है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी ।