नेताओं से अलग समझकर जिसे जनता ने चुना वो नेताओं से भी दो कदम आगे निकला, केजरीवाल के झूठ का पर्दाफाश


★केजरीवाल के जुठ का पर्दाफाश 
★अरविंद केजरीवाल के हलफनामें में बताई गई जानकारी का पोस्टमार्टम 


दिल्ली में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले है । बात उस व्यक्ति की जिसने जनता के समक्ष अपने आप को साधारण गरीब इन्शान सिद्ध करके गत चुनाव में सबको चौकाने वाली ऐतेहासिक जीत दर्ज की थी । जनता ने सोचा था कि यह कांग्रेस भाजपा का विकल्प उन्हें मिल गया है । लेकिन मफलर मैन के नाम से विख्यात हुआ यह शख्स जो सादगी सुचिता की बात करता था । कहता था कि मुझे मौका मिलेगा तो में नेताओ की तरह अपनी संपत्ति नही बढ़ाऊंगा बल्कि जनता की सेवा करूँगा । परन्तु समय का चक्र घुमा ओर दूध का दूध और पानी का पानी आपके सामने है । जो कहते थे कि जिनके ऊपर केस हो उन्हें चुनाव नही लड़ना चाहिए वो आज खुद पर 13 केस ओढ़कर यह चुनाव मैदान में है । दिल्ली को न शुद्ध हवा मिल पा रही है न शुद्ध पानी मिल पा रहा है दिल्ली को मिला तो एक अशुद्ध व्यक्ति जो किसी नेता से भी दो कदम आगे जाकर कम्बल के अंदर छुपकर घी पी रहा है । हाल ही में अपने नामांकन के दौरान चुनाव आयोग में दिए हलफनामे में अरविंद केजरीवाल ने बताया है कि साल 2015 से उनकी संपत्ति में 1.3 करोड़ रु का इजाफा हुआ है। बीते 5 साल में उनकी संपत्ति दोगुनी हुई। प्रश्न यह है कि इतना पैसा आया कहाँ से उसका स्त्रोत क्या है ? उनकी चल और अचल संपत्ति बढ़कर 1 करोड़ 86 लाख रुपए हो गई। जो 2015 में 94 लाख थी। करोड़पति केजरीवाल किस एंगल से आम आदमी है ? क्या हर आम आदमी करोड़ पति है ? केजरीवाल ने शपथ पत्र में अपनी सालाना आय 2 लाख 81 हजार रुपए बताई है। फिर सिर्फ 5 साल में करोड़ पति कैसे बन गए ? उनकी चल संपत्ति 9 लाख 95 हजार रुपए है। इसमें से 12 हजार रुपए की राशि को छोड़कर बाकी रकम 5 अलग-अलग बैंक खाताें में जमा है। जिसके पास पैसे नही उसके पास 5 बैंक खाते क्यो है ? क्या हम जैसे आम आदमी के पास 5 बैंक खाते है ? फिर यह कैसे आम आदमी हुआ ?  जबकि पत्नी सुनीता की पेंशन से होने वाली सालाना आय 9 लाख 94 हजार रुपए है। केजरीवाल की खुद की कार नहीं है। जबकि पत्नी के पास मारुति बलेनो कार और 380 ग्राम सोना है। खुद के नाम से कार ने लेना नेताओ का ही फंडा है फिर केजरीवाल नेताओ से अलग कैसे हुआ ? उनके पास 1.4 करोड़ का गाजियाबाद में प्लॉट है।
केजरी के खिलाफ मुकदमे 7 से बढ़कर 13 हुए । क्यो न आपको भी आदतन अपराधी माना जाए ? 



यह हलफनामा कुछ सवाल खड़े करता है -: 


1.जिस व्यक्ति के पास रुपया नही है क्या वो 5 बैंक खाते रखता है ? 


2.स्वयं के परिवार की कुल सालाना आय 13 लाख बताने वाला व्यक्ति आम नागरिक या गरीब कैसे माना जाए ? 


3.यह संपत्ति तो वो है जो एक नम्बर में है 2 नम्बर वाली संपत्ति का खुलासा शायद आने वाले वक्त में हमारे समक्ष हो जाये ? 


4.विज्ञापन में सरकारों नेताओ द्वारा खर्च किये गए पैसों के खिलाफ होने के कारण जनता ने इन्हें चुना था तो आज जो आपके बड़े बड़े वीडियो विज्ञापन आ रहे है उसका पैसा कौन खर्च कर रहा है ? 


5.आपके पास करोड़ो रुपये का प्लाट है उसके पैसे कौन से सेवा कार्य से प्राप्त हुए ? जनता को ऐसे सेवा कार्य बताए ताकि जनता भी पैसे कमा सकें ? 



अब सोचिए केजरीवाल का जुठ जनता समझ चुकी है लेकिन ऐसे जुठ से उस हर प्रयास को भी खत्म कर दिया है जो भविष्य में राजनीतिक सुधार के लिए हो सकता था क्योकि यदि कोई व्यक्ति फिर राजनीति में सुधार का आंदोलन करेगा तो उसे शक की नजर से देखा जाएगा कि यह भी तो अरविंद केजरीवाल की तरह लुटेरा या झूठा तो नही है । रामलीला मैदान में अन्ना के साथ पूरा देश आया था कि लोकपाल पुरे देश मे लागू होगा आज तक दिल्ली तक मे अन्ना के किसी सिद्धान्त या नियम को लागू नही किया गया है । जो सपने दिखाए गए थे वो सब फेल हो चुके है । अब जनता की बारी है जनता सबक सिखाने को बेकरार है । हो सकता है बडा उलटफेर इस चुनाव में देखने को मिले । निर्भया केस को विलम्भ करने से भी जनता केजरीवाल के खिलाफ है ।