सांख्यिकी कार्यालय ने सोमवार को आकड़े जारी किए।
महंगाई दर साढ़े पांच साल में सबसे ज्यादा; एक महीने में 5.54% से बढ़कर 7.35% हुई।
महंगाई को इंग्लिश में इन्फ्लेशन (inflation) कहा जाता है,
और महंगाई का बहुत ही सिम्पल और सीधा सा अर्थ है,
समय बढ़ने के साथ साथ, वस्तुओ और सेवाओ की कीमतो का बढ़ जाना ।
आम व्यक्ति जिस दर से सीधा प्रभावित होता है वह है मंहगाई दर । आज भी महंगाई डायन खाय जात है । महंगाई मनुष्य की आजीविका को भी प्रभावित करता है। आज तक समाज में महंगाई और मुद्रा-स्फीति बहुत ही बड़ी समस्या है।
बढती हुई महंगाई भारत की एक बहुत ही गंभीर समस्या है। सरकार जब भी महंगाई को कम करने की बात करती है वैसे-वैसे ही महंगाई बढती जा रही है। जनता सरकार से बार-बार यह मांग करती है कि महंगाई को कम कर दिया जाये लेकिन सरकार महंगाई को और अधिक बढ़ा देती है।
सबकी जेब ढीली कर देती है । केंद्रीय कर्मचारियों को तो सरकार हर साल तोहफे देती है उनकी तनख्वाह बड़ा देती है । लेकिन बेचारा प्राइवेट में नोकरी करने वाला कहां जाए उसका बोस 5 साल पहले भी उसे 5000 रु महीना देता था या 10 हजार रुपये महीना आज भी वही राशि देता है । ऐसे में उस मध्यमवर्गीय गरीब का कौन सोचेगा ? खुदरा महंगाई दर आम लोगों की जरूरत से जुड़ी चीजों की कीमतों में बदलाव से तय होती है। अब सोचिए आप मोदी जी तो मनमोहन सिंह जी बन गए है साहब मतलब साफ है इन 5 साल में कुछ भी नही बदला ? इससे पहले जुलाई 2014 में यह दर 7.39% थी, जुलाई 2019 में यह 3.15% थी। है न आश्चर्य देश वापस रिवर्स गैर में पहुंच गया है ।
आम तौर पर महंगाई तब बढ़ती है जब बाज़ार में मांग हो, लेकिन मोदी सरकार की मुश्किल यह है कि यह सिद्धांत वर्तमान महंगाई पर लागू नहीं होता ।
जरा सब्जियों की महंगाई पर गौर करें सब्जियों की महंगाई दर नवंबर में 26% थी, दिसंबर में यह बढ़कर 61% हो गई ।
अब सोचिए आप ऐसे में आम व्यक्ति अपना दुख किसके सामने रोने जाए । महंगाई दर बताती है कि आम आदमी के खानपान से जुड़ी चीजें महंगी हो रही हैं । क्योंकि खुदरा महंगाई दर में खाने-पीने की चीजों की हिस्सेदारी 50% के आसपास है।
खाद्य वस्तुओं जैसे प्याज, टमाटर और खाद्य तेलों की महंगाई ने खुदरा महंगाई की दर को इतना उछाल दिया है. अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो साल दर साल आधारित महंगाई दर में यह करीब 5.24 प्रतिशत के लगभग की बढ़ोतरी आंकी जा रही है.
जरा इस सूची पर गौर फरमाये :-
सब्जियां 60.5%
फल4.45%
धान एवं संबंधित उत्पाद4.36%
मांसमछली 9.57%
अंडा 8.79%
दालें एवं संबंधित
उत्पाद 15.44%
मसाले 5.76%
बिजली-ईंधन
0.70%
किसानों के हित मे मजबूत कदम उठाए सरकार :-
उपज की कमी से भी महंगाई बढती जाती है। जब सूखा पड़ने, बाढ़ आने और किसी वजह से जब उपज में कमी हो जाती है तो महंगाई का बढना तो आम बात हो जाती है। यह बहुत ही दुःख की बात है कि हमारी आजादी के इतने सालों बाद भी किसानों को खेती करने के लिए सुविधाएँ प्राप्त नहीं हैं।
क्या दावा सच होगा :-
दावा किया जा रहा है 2 या 3 महीने में हालत सुधार होंगे । इसी उम्मीद पर पूरा भारत कायम है कि यह दावा सच निकल जाए । केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) के दायरे में रखने का लक्ष्य दिया है. अब यह केंद्रीय बैंक के लक्ष्य से कहीं अधिक हो गई है. लगातार बढ़ती महंगाई के कारण सरकार को फिलहाल एक झटका लग चुका है. मंदी से जूझ रही सरकार आर्थिक वृद्धि को किसी भी कीमत पर तेज करना चाहती है, जिसके लिए सस्ते कर्ज मुहैया कराने पर जोर था. सरकार की इस कोशिश में पिछले काफी दिनों से आरबीआई ताल से ताल मिला रही थी. लेकिन पिछले पांच बार से लगातार ब्याज दरें घटाकर कर्ज सस्ते कर रही आरबीआई ने दिसंबर की एमपीसी बैठक में कर्ज दरों में कटौती नहीं की. आरबीआई ने बीच में महंगाई पर बिना ध्यान दिए कर्ज की दरों में कटौती की थी. लेकन अब खुदरा महंगाई इस स्तर पर आ गई है कि उससे मुंह नहीं मोड़ा जा सकता था.
बढती हुई महंगाई का मुद्रा-स्फीति के साथ बहुत ही गहरा संबंध है। सरकार हर साल घाटे का बजट बढ़ा देती है जिससे कीमतें भी बढ़ जाती हैं। इसका परिणाम ये निकलता है कि रुपए की कीमत घट जाती है। महंगाई तो एक तरह से प्रतिदिन की प्रक्रिया बन गई है।
अब महंगाई पर बात करना ही होगी यदि अभी आप इस विषय पर सरकार तक अपनी आवाज नही उठाएंगे तो फिर यह महंगाई लगातार ओर बढ़ती जाएगी । आपकीं जागरूकता भारत को पुनः 2013 का भारत बनने से बचाकर 2020 का भारत बनाएगी ।