भारत मे 19 साल में सिर्फ एक बलात्कारी को फांसी जबकि रोज हो रहे 90 बलात्कार


शीर्षक पढ़कर आपको गुस्सा आया होगा । आना भी चाहिए क्या हम सच मे भारत को नए भारत की दिशा में ले जा रहे है ? आज जब मेने बलात्कार के एनसीआरबी द्वारा जारी किए आंकड़ो को देखा तो आश्चर्य हुआ कि क्या ये है हमारे सपनो का भारत ? जहां रोज 90 बहन बेटियों की इज्जत तार तार हो रही है ? अफसोस होता है सरकारों पर आखिर इतने भयानक आंकड़े देखने के बाद सरकार में बैठे ज्ञानी जन क्यो नही सख्त से सख्त कानून बना रहे है । बलात्कार के मामलों में पेंडिंग केसों की संख्या देखकर भी यदि आप यह पूछते है कि हैदराबाद पुलिस ने इनकाउंटर किया तब सभ्य समाज मे खुशी क्यो थी ? तो आज के आंकड़े आपको आईना दिखाने के लिए पर्याप्त है । में स्पस्ट कर दूं आप किसी भी राजनीतिक दल के समर्थक हो लेकिन लोकतंत्र में गलत को गलत कहना पड़ेगा । आपकीं खामोशी के कारण ही सरकारे सख्त कानून बनाने की दिशा में कोई कदम नही उठा रही । मीडिया के कारण जो मामले हम तक पहुंचते है हम सुबह अखबार पढ़कर सोचते है क्या लोग  है मीडिया के पूरे अखबार में बलात्कार ,हत्या ,लूट के मामले भरे पढ़े है साहब हमे सच्चाई बतानी पड़ती है जो हो रहा है उसे दिखाना हमारा काम है हम घर में बैठकर मन से यह मामले नहीं लिखते ओर साहब यदि रोज के 90 बलात्कार के मामले छापे जाए तो अखबार के पृष्ठ कम पढ़ जायेगे । आप किसी भी महापुरुष को मानते होंगे क्या यह आंकड़े देखकर उनकी आत्मा नही रोती होगी ? यहां यह भी स्पस्ट कर दूं सरकार किसी भी दल की हो कोई भी नेता आपका मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री हो कोई फर्क नही पड़ता । इन बलात्कारी दोषियों को कोई सख्त सजा नही 19 साल में एक बलात्कारी को फांसी कितना शर्मनाक आंकड़ा है । सरकारे बदल जाती है लेकिन यह शर्मनाक आंकड़े नही बदल पाते । आखिर क्यों विश्वगुरु बनने की चाह रखने वाले इस देश मे घिनोने अपराध पर लगाम क्यो नही लग पा रही है । क्या पूरी दुनिया जिस देश को आद्यात्मिक ,धार्मिक देश मानती है उसकी छवि धूमिल नही हो रही ऐसे घिनोने अपराधों से । कम से कम इस मुद्दे पर राजनीति छोड़कर सच के धरातल पर सारे राजनीतिक दलों को एक होकर काम करना चाहिए । एक दूसरे को कोसना इसका हल नही है । आइए देख लेते है ।


★आखिर ऐसे क्या आंकड़े प्राप्त हुए जिससे मानवता शर्मसार हो रही है -


●एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 2012 में बलात्कार के 24 हजार 923 मामले दर्ज हुए थे, यानी रोजाना 68 मामले, 2018 में यह 33% बढ़कर 33 हजार से ज्यादा हो गए । 


●दिल्ली पुलिस के अनुसार देश की राजधानी दिल्ली में 2012 में दुष्कर्म के 706 मामले सामने आए थे, 2019 में 15 नवंबर तक ही दुष्कर्म के एक हजार 947 केस दर्ज हो चुके थे, यानी 7 साल में दिल्ली में दुष्कर्म के मामले 176% बढ़े ।
● एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक देश की सभी अदालतों में 2018 के आखिरी तक 1लाख 38 हजार से ज्यादा मामले पेंडिंग थे, 2018 में सिर्फ 27% मामलों में ही सजा मिल सकी । इसमें भी फांसी की सजा की संख्या तो 19 साल में सिर्फ 1 बलात्कारी को दी गयी । 


● निर्भया केस में एक बलात्कारी को जिसकी उम्र 17 साल 6 माह थी उसे तीन साल सरकार ने एशो आराम में रखकर सिलाई मशीन ओर 10 हजार रुपये देकर छोड़ दिया था । इसका परिणाम देखिये इस आंकड़े में स्पष्ठ हो जाएगा । यदि उस एक नाबालिक बलात्कारी को फांसी दी जाती तो आज यह 12 हजार नाबालिक बलात्कारियों में डर पैदा होता और वो ऐसे अपराध करने में सिहर उठते। लेकिन सरकार की नीतियों से ऐसे अपराधी को जब सिलाई मशीन ओर 10 हजार दिए गए तो डर की जगह इनमें हौसला बढ़ गया । 


★ जबसे निर्भया का केस हुआ तब अर्थात 2012 से 2018 के बीच 12,125 नाबालिगों पर दुष्कर्म के मामले दर्ज किए गए हैं। अगर इन 7 सालों का औसत निकाला जाए तो हर दिन 5 नाबालिगों पर दुष्कर्म के केस दर्ज हुए। (एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक )



बेशर्मी की पराकाष्ठा देखिए -:
ANI के अनुसार निर्भया कांड के दोषियों में से एक अक्षय कुमार सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में फांसी की सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की है. याचिका में बड़ी ही बेशर्मी के साथ अक्षय की तरफ से कहा गया है कि दिल्ली के लोग वायु और जल प्रदूषण से मर रहे हैं तो फिर फांसी क्यों दी जा रही है. याचिका में कहा गया है कि प्रदूषण से दिल्ली गैस चेंबर में तब्दील हो चुकी है ऐसे में मृत्यु दंड की क्या जरूरत है. ध्यान रहे कि अक्षय सिंह को ट्रायल कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी.



★देखिए बलात्कारी ने सजा से बचने के लिए क्या कहाँ पढ़कर आपको लगेगा कि हर बलात्कारी की सजा सिर्फ फांसी ही होना चाहिए :- 


बलात्कारी विनय शर्मा ने क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल कर फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की। उसने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट सहित सभी अदालतों ने मीडिया और राजनेताओं के दबाव में पूर्वाग्रह से फैसला दिया। विनय ने दावा किया कि उसे गरीब होने के कारण मौत की सजा सुनाई गई है। जेसिका लाल हत्याकांड का हवाला देकर उसने दावा किया कि मनु शर्मा ने भी महिला की निर्दयी, नृशंस और अकारण हत्या की थी, लेकिन ताकतवर राजनीतिक परिवार से होने के कारण उसे सिर्फ उम्रकैद की सजा दी गई।



आज आप सबसे गुजारिश करता हूँ आप कमसे कम अपने सोशल मीडिया खातों से बलात्कारी की सजा सिर्फ फांसी हो इसका अभियान चलाए । 


सन्दर्भ (आंकड़े एनआरसीबी,ANI न्यूज एजेंसी) 


लेखक -: मिलिन्द्र त्रिपाठी की कलम से